जुबिली न्यूज डेस्क
अमेरिका में टिकटॉक को लेकर हालिया घटनाक्रम में एक नया मोड़ आया है। अप्रैल 2025 तक की स्थिति के अनुसार, टिकटॉक की बिक्री को लेकर अमेरिका और बाइटडांस (टिकटॉक की मूल कंपनी) के बीच एक सौदा लगभग तय माना जा रहा था। इस डील के तहत टिकटॉक का अमेरिकी परिचालन एक नई कंपनी के जरिए चलाया जाना था, जिसमें ज्यादातर हिस्सेदारी और नियंत्रण अमेरिकी निवेशकों के पास होता, जबकि बाइटडांस का हिस्सा सीमित रहता। यह व्यवस्था अमेरिकी सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए की जा रही थी, जो टिकटॉक के जरिए चीनी सरकार द्वारा डेटा संग्रह की आशंका से जुड़ी थीं।

हालांकि, यह डील उस समय अचानक रुक गई जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन सहित कई देशों पर जवाबी टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने की घोषणा की। इसके बाद बाइटडांस के प्रतिनिधियों ने व्हाइट हाउस को सूचित किया कि चीन अब इस डील को मंजूरी नहीं देगा, जब तक कि व्यापार और टैरिफ के मुद्दों पर बातचीत नहीं होती। ट्रंप प्रशासन को भरोसा था कि महीनों की बातचीत के बाद यह सौदा पूरा हो जाएगा, जिसमें उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस की टीम ने बाइटडांस और संभावित निवेशकों के साथ सीधे चर्चा की थी। लेकिन ट्रंप के टैरिफ की घोषणा ने चीन के रुख को सख्त कर दिया, और उसने इस डील से पीछे हटने का फैसला किया।
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वर्तमान में, बाइटडांस के पास टिकटॉक को किसी गैर-चीनी खरीदार को बेचने के लिए 5 अप्रैल 2025 तक का समय है, जैसा कि 2024 के अमेरिकी कानून में निर्धारित है। ट्रंप ने इस समयसीमा को पहले ही 75 दिन बढ़ाकर राहत दी थी, लेकिन अगर कोई समझौता नहीं हुआ तो टिकटॉक पर पूर्ण प्रतिबंध लग सकता है। ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह इस मसले को सुलझाने के लिए तैयार हैं और सोमवार को कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। दूसरी ओर, चीन का कहना है कि वह टिकटॉक को अपनी तकनीकी संपत्ति मानता है और इसके पूर्ण नियंत्रण को आसानी से नहीं छोड़ेगा। इस तरह, टैरिफ और व्यापार तनाव के कारण यह डील अधर में लटक गई है।
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