जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. झारखंड का नीरज मुर्मू अचानक से पूरे देश में सितारा बनकर चमकने लगा है. 21 साल के नीरज को ब्रिटेन का प्रतिष्ठित डायना अवार्ड से सम्मानित किया गया है. यही नीरज बालक था तो खदान में मजदूरी करता था. कैलाश सत्यार्थी ने वर्ष 2011 में उसे बाल मजदूरी से निजात दिलकर बाल मित्र ग्राम में बसाया.

बाल मित्र ग्राम कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन का प्रमुख कार्यक्रम है. इस फाउंडेशन से जुड़ने के बाद नीरज ने शिक्षा के महत्व को समझा और बाल श्रमिकों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने का काम शुरू किया. बाल मित्र ग्राम के कार्यकारी निदेशक पी.एन. मालथी ने बताया कि हमारे हर बच्चा एक मज़बूत नेता है. वह अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए सशक्त है. उन्होंने बताया कि बाल मित्र ग्राम बच्चो के सशक्तिकरण का काम करता है.
पी.एन. मालथी ने बताया कि नीरज ने बाल मजदूरी से छुटकारा पाने के बाद स्कूल में दाखिला लिया और इसके साथ ही अपने गाँव में बाल श्रम को खत्म करने की भी कसम खाई. समझदार होने के बाद उन्होंने अपने गाँव में स्कूल खोला और दो सौ वंचित बच्चो की शिक्षा का इंतजाम किया. साथ ही उन्होंने खदान में काम करने वाले 20 बच्चो को भी बाल श्रम से मुक्ति दिलाकर उन्हें अपने स्कूल में दाखिल कराया. नीरज की इसी सकारात्मक सोच ने उन्हें ब्रिटेन के प्रतिष्ठित डायना अवार्ड का हकदार बना दिया.
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