जुबिली स्पेशल डेस्क
इंफाल। कुछ समय की शांति के बाद मणिपुर एक बार फिर से हिंसा की चपेट में आ गया है। राज्य में हालात उस वक्त तनावपूर्ण हो गए जब मैतेई समुदाय के नेता और अरंबाई तेंगोल संगठन के सदस्य कानन सिंह को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। उनकी गिरफ्तारी के बाद कई इलाकों में उग्र प्रदर्शन शुरू हो गए हैं और स्थिति तेजी से बिगड़ती जा रही है।
जानकारी के मुताबिक, कानन सिंह को इंफाल एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया। उन्हें मणिपुर में 2023 की हिंसा से जुड़े मामलों में सीबीआई द्वारा हिरासत में लिया गया है। यह गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चल रही जांच के तहत की गई है।
कानन सिंह को गिरफ्तारी के बाद गुवाहाटी ले जाया गया, जहां उन्हें अदालत में पेश कर सीबीआई पुलिस रिमांड की मांग करेगी। गिरफ्तारी के बाद से इंफाल सहित कई जिलों में माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। प्रदर्शनकारियों ने जगह-जगह सड़कें जाम कर दी हैं और आगजनी की भी खबरें सामने आ रही हैं।
स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां हालात पर काबू पाने में जुटी हैं, लेकिन स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में नहीं बताई जा रही है।
ये भी पढ़ें-दीपिका पादुकोण के हाथ लगी बड़ी फिल्म, अब साउथ के इस बड़े एक्टर के साथ जमेगी जोड़ी
कुछ समय की शांति के बाद मणिपुर में एक बार फिर हालात बिगड़ते नजर आ रहे हैं। प्रदेश में तनाव उस समय और बढ़ गया जब मैतेई समुदाय के नेता व अरंबाई तेंगोल संगठन से जुड़े कानन सिंह को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया।
कौन हैं मैतेई नेता कानन सिंह?
कानन सिंह मणिपुर के एक प्रमुख मैतेई नेता और अरंबाई तेंगोल संगठन के सक्रिय सदस्य हैं। उन्हें हाल ही में सीबीआई की भ्रष्टाचार विरोधी शाखा ने इंफाल एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया। जैसे ही गिरफ्तारी की खबर फैली, मणिपुर में हालात तेजी से बिगड़ने लगे।
इंफाल समेत कई इलाकों में लोगों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। सड़कों पर टायर जलाए गए, और जगह-जगह उग्र भीड़ जमा हो गई। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने कानन सिंह की रिहाई की मांग करते हुए आत्मदाह का प्रयास तक किया। इन घटनाओं के बाद राज्य में तनावपूर्ण माहौल बना हुआ है।
अरंबाई तेंगोल संगठन पर क्या हैं आरोप?
अरंबाई तेंगोल मणिपुर के मैतेई समुदाय से जुड़ा एक संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 2020 में सांस्कृतिक पुनर्जागरण के उद्देश्य से की गई थी। इसका मकसद मैतेई पहचान, परंपराएं, और सनामही धर्म को पुनर्जीवित करना और संरक्षित करना था।
शुरुआत में यह संगठन धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों तक सीमित था, लेकिन समय के साथ इसकी कार्यशैली और प्रभाव में बदलाव देखा गया।
अब इस संगठन पर कट्टरपंथी रुख अपनाने और समुदाय विशेष की पहचान को आक्रामक रूप से आगे बढ़ाने के आरोप लगते रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों की नजर में यह संगठन अब सिर्फ सांस्कृतिक नहीं, बल्कि सामाजिक तनाव का कारक भी बन गया है।