जुबिली स्पेशल डेस्क
2 अक्टूबर को ही देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती मनाई जाती है जबकि 11 जनवरी 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में उनकी बड़ी रहस्यमयी तरीके से मौत हुई थी।
उनकी सादगी अपने आप में एक मिसाल है। ईमानदारी और स्वाभिमानी छवि की वजह से आज भी देश बहुत सम्मान के साथ याद करता है।
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म बेहद साधारण परिवार में 2 अक्टूबर 1904 में मुगलसराय (उत्तर प्रदेश) के एक कायस्थ के घर में हुआ था। एक बेहद साधारण परिवार में जन्में शास्त्री देश के सबसे शीर्ष पद तक पहुंचे तो उसके पीछे उनका बेहद सरल और सादगी भरा जीवन ही था।

उन्होंने अपने सार्वजनिक जीवन में कई मिशालें पेश की। आज अगर वो होते तो किसी मंत्री द्वारा अपनी नैतिक जिम्मेदारी के स्वीकार की वह मिसाल अब तक परम्परा बन गयी होती। अपने कार्यकाल में रेल दुर्घटना की जिम्मेदारी लेते हुए लाल बहादुर शास्त्री ने खुद ही इस्तीफा दे दिया था।
यही नहीं देश के प्रधानमंत्री होने के बाद भी उनके पास ना तो कोई आलिशान घर था और ना ही उनके पास उनकी खुद की कोई कार और ना ही बैंक बैलेंस। ये उनकी सादगी का ही उदाहरण है। बताया जाता है कि जब उनके बच्चों ने कार खरीदने की जिद की तो उन्हें कार खरीदने के लिए लोन लेना पड़ा था।

भारतीय राजनीति में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की ऐसी कई और मिशाले सुनने को मिलती अगर 1966 में ताशकंद में उनकी असामयिक मृत्यु न हुई होती। उनके पूरे जीवन में किसी भी प्रकार का कोई विवाद नहीं उठा लेकिन उनकी मौत उतनी ही रहस्यमय परिस्थितियों में हुई।
दरअसल 10 जनवरी, 1966 को पकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ताशकंद गये हुए थे। और जब समझौते का करार हो गया उसके 12 घंटे के बाद 11 जनवरी को तड़के सुबह अचानक उनकी मौत हो गई। जोकि रहस्य बनी हुई है लेकिन अधिकारिक तौर पर ये कहा जाता है कि उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई।
वहीं, उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी ललीता शास्त्री ने दावा किया कि उनके पति को जहर देकर मारा गया। उनके बेटे सुनील शास्त्री ने सवाल ने कहा था कि उनके पिता की बॉडी नीली पड़ गयी थी। साथ ही उनके शरीर पर कुछ निशान भी थे। यही नहीं उनकी मौत को लेकर आरटीआई कार्यकर्त्ता ने आरटीआई के जरिए कई अहम खुलासे किये।
पूर्व पीएम शास्त्री की मौत की जांच की रिपोर्ट को लेकर आरटीआई लगाई जिसके जवाब में पाया कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री मरने से 30 मिनट पहले तक बिलकुल ठीक थे। 15 से 20 मिनट में तबियत खराब हुई और उनकी मौत हो गई।उनकी मौत पर वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने अपनी किताब में ‘बियोंड द लाइन’ में लिखा है, ‘उस रात मैं सो रहा था, तभी अचानक एक रूसी महिला ने दरवाजा खटखटाया। दरवाजा खुलते ही उसने बताया कि आपके प्रधानमंत्री मर रहे हैं। मैं जल्दी से उनके कमरे में पहुंचा। मैंने देखा कि रूसी प्रधानमंत्री एलेक्सी कोस्गेन बरामदा में खड़े हैं, उन्होंने इशारे किया कि शास्त्री नहीं रहे।
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उन्होंने देखा कि उनका चप्पल कॉरपेट पर ही रखा हुआ था जिसका प्रयोग उन्होंने नहीं किया था। पास में ही एक ड्रेसिंग टेबल था जिस पर थर्मस फ्लास्क गिरा हुआ था ऐसा लग रहा था उन्होंने इसे खोलने की कोशिश की थी।

खाने में मिला था जहर
दूसरी ओर, ऐसा दावा किया जाता है कि जिस रात शास्त्री की मौत हुई, उस रात उन्हें जो खाना दिया गया था वो उनके निजी सहायक रामनाथ ने नहीं, बल्कि सोवियत रूस में भारतीय राजदूत टीएन कौल के कुक जान मोहम्मद ने पकाया था। उनकी मौत के बाद शरीर के नीला पड़ने पर इस बात की आशंका जताई गई कि शायद उनके खाने में जहर मिला दिया गया था।
पत्नी ललिता शास्त्री ने किया दावा
उनके पार्थिव शरीर को भारत भेजा गया। शव को देखने के बाद उनकी पत्नी ललिता ने ये दावा कि उनकी मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है। अगर दिल का दौरा पड़ा होता तो शरीर नीला क्यों पड़ गया था और उनके शरीर पर सफेद चकत्ते कैसे पड़ गए। इसके बाद 2 अक्टूबर, 1970 को शास्त्री के जन्मदिन के अवसर पर पत्नी ललिता ने उनके निधन पर जांच की मांग की।
नहीं हुआ था पोस्टमार्टम
संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद भी उनका पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। अगर पोस्टमार्टम कराया जाता तो उनके निधन की सही वजह पता चल जाती। एक पीएम के अचानक निधन के बाद भी पोस्टमार्टम ना कराया जाना संदेह की ओर इशारा करता है। ऐसे कई सवाल हैं जो शास्त्री की मौत पर सवाल खड़े करते हैं।
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