- ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का निधन
- रायपुर एम्स में ली अंतिम सांस
जुबिली स्पेशल डेस्क
हिंदी साहित्य के प्रख्यात लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल का 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। रायपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने जानकारी दी कि उन्होंने मंगलवार, 23 दिसंबर 2025, की शाम करीब 4:58 बजे अंतिम सांस ली।
पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 नवंबर को विनोद कुमार शुक्ल से फोन पर बात कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली थी।
सांस की तकलीफ के बाद एम्स में कराया गया था भर्ती
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, विनोद कुमार शुक्ल के पुत्र शाश्वत शुक्ल ने बताया कि सांस लेने में दिक्कत के चलते उन्हें 2 दिसंबर 2025 को रायपुर एम्स में भर्ती कराया गया था।
इससे पहले अक्टूबर 2025 में भी उन्हें सांस संबंधी समस्या के कारण रायपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया था। तबीयत में सुधार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई थी और वे घर पर ही इलाज करा रहे थे।

हालत बिगड़ने पर दोबारा एम्स में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। परिवार में उनकी पत्नी, पुत्र शाश्वत शुक्ल और एक पुत्री हैं। शाश्वत शुक्ल ने बताया कि पार्थिव शरीर को पहले उनके निवास स्थान ले जाया जाएगा और अंतिम संस्कार की जानकारी जल्द दी जाएगी।
‘नौकर की कमीज’ सहित कई कालजयी कृतियों के रचयिता
‘नौकर की कमीज’, ‘खिलेगा तो देखेंगे’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ और ‘एक चुप्पी जगह’ जैसे चर्चित उपन्यासों के रचयिता विनोद कुमार शुक्ल को 59वां ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था। 21 नवंबर 2025 को रायपुर स्थित उनके निवास पर आयोजित एक समारोह में उन्हें यह सम्मान दिया गया था।
हिंदी साहित्य जगत में हमेशा स्मरणीय रहेंगे: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा,
“ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। हिंदी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।”
छत्तीसगढ़ के लिए अपूरणीय क्षति: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने उनके निधन को राज्य और साहित्य जगत के लिए बड़ी क्षति बताया। उन्होंने एक्स पर लिखा,
“‘नौकर की कमीज’ और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ जैसी कृतियों से साधारण जीवन को गरिमा देने वाले विनोद कुमार शुक्ल छत्तीसगढ़ के गौरव के रूप में हमेशा हमारे हृदय में रहेंगे। उनकी संवेदनशील रचनाएं पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।”
साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति: भूपेश बघेल
कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा,“छत्तीसगढ़ की साहित्यिक धरोहर और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित विनोद कुमार शुक्ल का जाना न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के लिए अपूरणीय साहित्यिक क्षति है। ईश्वर उनकी दिवंगत आत्मा को शांति दे और उनके परिजनों को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे।”

विनोद कुमार शुक्ल की कविता संग्रह
- लगभग जयहिंद
- वह आदमी चला गया नया गरम कोट पहिनकर विचार की तरह
- सब कुछ होना बचा रहेगा
- अतिरिक्त नहीं
- कविता से लंबी कविता
- आकाश धरती को खटखटाता है
- पचास कविताएं
- कभी के बाद अभी
- कवि ने कहा -चुनी हुई कविताएं
- प्रतिनिधि कविताएं
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