
ओम प्रकाश सिंह
नेताओं की चिकचिक से आजिज़ सपा की ‘किन्नर’ पूंजी भी राममय हो गई..
अयोध्या। रामनगरी के नगरनिगम महापौरी चुनाव में सपा के हार की पटकथा, टिकट वितरण को लेकर अखिलेश के दरबार में ही लिख उठी थी। सपा अपनी पूंजी ही गंवा बैठेगी इसका अंदाजा सपा सुप्रीमो को भी नहीं रहा होगा। मेयर के हार की चोट पर पार्षदी में मिली सत्रह सीट जरूर मरहम का काम करेगी।

अतीत में अपने ही दांव में उलझकर रामनगरी की राजनीति से निर्वासित हुए सपा के दिग्गज नेता ‘दादा’ जयशंकर पांडेय महापौर चुनाव के बहाने न सिर्फ रामनगरी में वापसी करना चाहते थे बल्कि पुत्र को राजनीति में स्थापित करना चाहते थे। महापौर के लिए सपा से जितने दावेदार थे सबकी जुटान अखिलेश यादव के यहां हुई। आंख में आंसू लेकर जयशंकर पांडेय टिकट लेने में कामयाब हो गए लेकिन अयोध्या महानगर सपा संगठन को नहीं साध पाए। पवन पांडेय अंदरखाने अपनी पत्नी के लिए टिकट चाहते थे। यह भी सत्य है कि पवन की पत्नी को टिकट मिलता तो जीत की दुलहनिया के लिए भाजपा को नाकों चने चबाने पड़ते।
सामान्य मतदाताओं के साथ चुनावी मैदान में मेयर पद के दृष्टिकोण से सपा की उम्मीदवारी पार्टी के आधार वोट में भी उत्साह नहीं जगा पाई। साथ ही सत्ता के संघर्ष को राजनीतिक अखाड़े में उतरने से पहले व मतदान तक ‘घर’ के संघर्ष को सपा उम्मीदवार पार नहीं कर सका। मालूम हो कि सपा उम्मीदवार आशीष पांडेय रिश्ते में पवन पांडेय के ममेरे भाई है। अंदरखाने जो संग्राम हुआ उसकी वजह अयोध्या विधानसभा की दावेदारी भी है।
आशीष पांडेय मेयर पद जीतते या पिछले चुनाव से ज्यादा मत प्रतिशत पाते तो पवन के लिए संकट की स्थिति होती। पिछले चुनाव में आशीष पांडेय अयोध्या से दावेदारी कर भी चुके थे। पवन खेमे ने यह चाल भांप अपनी रणनीति व ताकत पार्षदों के लिए लगा दिया। जिसका नतीजा भी पवन की उम्मीद के अनुकूल रहा और सपा सत्रह पार्षदी की सीट जीतने में कामयाब रही।
मालूम हो कि जय शंकर पांडे ने अपनी राजनीति अयोध्या विधानसभा क्षेत्र से ही शुरू की थी और वह यहां से दो बार विधायक रहे। अखिलेश ने जब राजनीति में कदम रखा तो लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति से आए पवन पांडे ने अयोध्या में अपना अंगद पांव जमा दिया और जयशंकर को यहां से हटकर कटेहरी से चुनाव लड़ना पड़ा।
राजनीतिक अखाड़े के पुराने लड़ाकू जयशंकर को अंदेशा हो गया कि अब उनके लड़ने का समय निकल गया तो उन्होंने अपने लड़के आशीष पांडेय दीपू को अयोध्या महापौर का चुनाव लड़ाकर विधायकी की राजनीति का रास्ता दिखाने का जतन किया। ‘दादा’ का यह दांव पवन वेग से उल्टा पड़ गया और सपा अपनी जमापूंजी भी लुटा बैठी। नेताओं की किचकिच से आजिज़ सपा के आधार वोटों ने भी किनारा कर लिया और पिछले चुनाव में मिली ‘किन्नर’ पूंजी भी राममय हो गई।
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