जुबिली स्पेशल डेस्क
ढाका/नई दिल्ली।बांग्लादेश में लंबे समय से हिंसा का दौर जारी है। हाल ही में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद राजधानी ढाका और अन्य क्षेत्रों में तनाव बढ़ गया। इस दौरान कई मीडिया संस्थानों, सांस्कृतिक केंद्रों और राजनीतिक कार्यालयों पर हमले किए गए।
निर्वासित बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने X (पूर्व Twitter) पर इस हिंसा की वजह और देश के हालात को लेकर अपनी राय साझा की। उन्होंने लिखा कि यह हिंसा किसी राजनीतिक दल या समुदाय के बीच नहीं है। असल में यह संघर्ष धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक कट्टरता, तर्कवाद और कट्टरपंथ, सच्चाई और झूठ, और प्रगतिवाद और प्रतिक्रियावाद के बीच है।

तस्लीमा ने आगे कहा, “यह बुद्धिमत्ता और अज्ञानता, सभ्यता और बर्बरता, इंसानियत और क्रूरता, आजाद सोच और अंधविश्वास के बीच संघर्ष है। यह दो तरह के लोगों के बीच झगड़ा है वे जो आगे बढ़ना चाहते हैं और वे जो पीछे जाना चाहते हैं।”
ढाका में बम धमाका, एक की मौत
बांग्लादेश की राजधानी ढाका में बुधवार शाम को मोगाबाजार इलाके में बम ब्लास्ट हुआ। धमाके में कई लोग घायल हुए और एक व्यक्ति की मौत हो गई। पुलिस के मुताबिक, बम फेंकने के बाद उपद्रवी फरार हो गए। इस घटना ने इलाके में दहशत फैलाई।

संवेदनशील हालात, हादी और दीपू चंद्र दास की हत्या
बांग्लादेश के हालात पिछले कुछ महीनों से बेहद संवेदनशील बने हुए हैं। 12 दिसंबर को ढाका के बिजोयनगर इलाके में चुनावी अभियान के दौरान नकाबपोश बंदूकधारियों ने उस्मान हादी पर हमला किया। गंभीर रूप से घायल हादी का 18 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान निधन हो गया।
इसके अलावा 18 दिसंबर की रात हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की हत्या ने भी पूरे समुदाय में डर और चिंता पैदा कर दी है। इन घटनाओं के बाद देश में सुरक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर सवाल बढ़ गए हैं।
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