जुबिली स्पेशल डेस्क
काठमांडू। नेपाल में जेनरेशन-जेड (Gen-Z) आंदोलन ने जिस तेजी से सत्ता पलट दी, उसने सबको चौंका दिया। केपी शर्मा ओली की सरकार प्रदर्शनकारियों का दबाव महज दो दिन भी नहीं झेल सकी और इस्तीफा देना पड़ा।
इस आंदोलन की चर्चा जितनी सड़कों पर रही, उतनी ही परदे के पीछे से इसे दिशा देने वाली एक युवती भी सुर्खियों में आ गई हैं। यह हैं 24 वर्षीय अधिवक्ता और सोशल एक्टिविस्ट तनुजा पांडे, जो अब अंतरिम सरकार की रूपरेखा तैयार करने की प्रक्रिया में भी अहम भूमिका निभाती दिख रही हैं।
कौन हैं तनुजा पांडे?
तनुजा का जन्म नेपाल के कैलाली जिले में हुआ और शुरुआती पढ़ाई झापा में हुई। उनके नाना रमेश नाथ पांडे देश के वरिष्ठ नेता रहे हैं और 2006 में नेपाल के विदेश मंत्री भी बने थे।
लिंक्डइन प्रोफाइल के अनुसार, तनुजा ने नेपाल के नेशनल लॉ कॉलेज से पढ़ाई की और वकालत के साथ सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय रहीं। 2018 में उन्होंने ‘हरिन’ नामक संगठन की स्थापना की, जो पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता पर काम करता है। एक इंटरव्यू में तनुजा ने कहा था कि नेपाल में पर्यावरण के लिए काम करना सबसे कठिन और जोखिम भरा है।

आंदोलन में भूमिका
सोशल मीडिया बैन के खिलाफ जब आंदोलन शुरू हुआ, तो तनुजा ही थीं जिन्होंने पहला नारा दिया – “इनफ इज इनफ” (अब बहुत हो गया)। यह स्लोगन जल्दी ही जेनरेशन-जेड आंदोलन का चेहरा बन गया और पोस्टरों से लेकर सोशल मीडिया तक छा गया।
तनुजा अपनी टीम के साथ झापा से काठमांडू पहुंचीं और आंदोलन को सोशल मीडिया पर हैशटैग #GenZNepal से राष्ट्रीय स्वरूप दिया। आंदोलन खत्म होने के बाद सेना और प्रदर्शनकारियों की जो अहम बैठक हुई, उसमें भी तनुजा मौजूद रहीं।
भविष्य की भूमिका?
तनुजा ने बीबीसी नेपाली को बताया कि आंदोलनकारियों की मांग है कि अंतरिम सरकार की कमान किसी पारंपरिक राजनेता को न दी जाए। उनके अनुसार, “अब समय है कि नागरिक समाज को नेतृत्व दिया जाए, ताकि भ्रष्टाचार खत्म किया जा सके।”
तनुजा पांडे की यह सक्रियता नेपाल की राजनीति में नई पीढ़ी के उभार और पारंपरिक सत्ता से टकराव का प्रतीक मानी जा रही है।