राजीव ओझा सुबह साथी का मेसेज मिला, आदरणीय राजनाथ सिंह सूर्य नहीं रहे। सुनकर झटका लगा। उनके सानिध्य में पत्रकारिता के दिन न्यूज़ रील की तरह याद आते गए। मेरे पत्रकारिता के करियर को गति देने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। इसके लिए सदा आभारी रहूँगा। बात 1986 की है …
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