नयनों मे पीर पले, जीवन की शाम ढले। अंखियां ये कहती है, मधुरितु उतराई है, प्रियतम से मिलने की, ललक अंगड़ाई है। रेत पर कौन चले…… गीतों के छंदो मे, रात ये उदासी है, कहती है बाहों मे, नींद आज प्यासी है। हृदय को कौन छले….. आज केलि शैय्या पर, …
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