अशोक कुमार श्रीवास्तव किसी भी राष्ट्र के विकास, प्रशासन एवं जन समस्याओं के सशक्त निराकरण हेतु उस राष्ट्र की बोली जाने वाली भाषा जब एक होती है तब की स्थिति में राष्ट्र का सर्वांगीण विकास संभव हो पाता है एवं राष्ट्र का जनमानस खुशहाल रहता है। भारत वर्ष प्राचीन काल …
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EARTH DAY : सभ्यता की दृष्टि सर्वाधिक दरिद्र है, वह विभेद का उत्सव मनाती है
डॉ श्रीश पाठक हमारी देह में भीतर-बाहर अरबों जीव पल रहे। वे हमारे अस्तित्व से अनभिज्ञ होंगे या सम्भवतः उन्हें एहसास भी हो। हमारी यह देह उनके लिए किसी ब्रह्माण्ड से कम नहीं। यह पूरा ब्रह्माण्ड इतना अधिक विशाल है कि यह हमारे कल्पना के अनंत से भी कई गुना …
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