Saturday - 6 January 2024 - 9:10 AM

अवैध खनन के खिलाफ स्वामी शिवानंद का आमरण अनशन

रूबी सरकार

देश दुनिया के करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र गंगा मात्र एक नदी ही नहीं बल्कि भारत की 40 प्रतिशत से अधिक आबादी के प्राण है, जो गोमुख से लेकर गंगा सागर तक उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड़ और बंगाल की भूमि को सींचती है। गंगा करोड़ों जीव-जंतुओं और वनस्पतियों का आश्रय स्थल भी है। लेकिन अंधाधुंध विकास और औद्योगिकीकरण की अनियमित दौड़ ने गंगा को प्रदूषित कर दिया। नदी की धारा सिकुड़ गई। अमृत कहा जाने वाला गंगा जल कई स्थानों पर जहरीला हो गया। घरों का सीवर और उद्योगों का कैमिकलयुक्त कचरा गंगा में बहाया जाने लगा।

गंगा को स्वच्छ करने के लिए कई योजनाएं सरकार ने शुरू की। करोड़ों रुपये खर्च किए गए, किंतु जनता की सहभागिता और शासन-प्रशासन की ढुलमुल रवैये व भ्रष्टाचार के कारण योजनाएं परवान नहीं चढ़ सकीं, जिससे मां गंगा मरणासन्न स्थिति में पहुंच चुकी हैं। जिस देश में सत्य सिद्ध करने हेतु गंगा कर सौगंध ली जाती हो, तथा जिसके जल की कुछ बूँदें मोक्ष की वाहक बनती हो, उसी नदी के जल को आज हमने पीने और नहाने योग्य भी नहीं छोड़ा। वात्सल्यमयी मां गंगा आज भी अपने प्रवाह से हमें आशीर्वाद देने के लिए हमारे द्वार से बिना किसी शिकायत के सतत बह रही है।

सदानीरा मां गंगा की अविरलता को बनाये रखने तथा लंबे समय से माँ गंगा में हो रहे अवैध खनन के खिलाफ हरिद्वार स्थित मातृ सदन के परमाध्यक्ष सनातन धर्म के विख्यात और वेदांत के महान आचार्य स्वामी शिवानंद सरस्वती, जो 10 मार्च से लगातार आमरण अनशन पर थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से 29 मार्च को उन्होंने अपने अनशन पर विराम लगाया था, पुनः 3 अगस्त से उन्होंने हरिद्वार में आमरण अनशन शुरू कर दिया है।

सरकार से उनकी 5 मुख्य मांगें हैं, जिनमें गंगा और इसकी सहायक नदियों पर जो भी प्रस्तावित और निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजनाएं हैं, उसे निरस्त किया जाये। इसके अलावा हरिद्वार में गंगा और इसकी सहायक नदियों पर खनन पूर्ण रूप से प्रतिबंध हो। साथ ही 5 किलोमीटर के परिसीमन में संचालित स्टोन क्रशर बन्द हों। उनकी यह भी मांग है कि स्वामी सानंद की हत्या, स्वामी आत्मबोधानंद और साध्वी पद्मावती को रात के समय उठा के ले जाने जैसे मामलों की उच्चस्तरीय जांच हो।

3 अगस्त से प्रतिदिन वे केवल पांच गिलास गंगाजल ही ले रहे हैं। इसमें नमक, शहद कुछ भी नहीं है। गंगा की अविरलता के लिए इनके सत्याग्रह के समर्थन में 108 स्थानों पर एक साथ उपवास रखा गया है। यह क्रमिक उपवास दुनिया भर के गंगा भक्त कर रहे हैं।

जल पुरूष राजेन्द्र सिंह कहते हैं, कि हमारे आजाद भारत के आजाद नेता गंगा को मां कहकर भी अनसुनी व अनदेखी कर रहे हैं। भारत की आजादी, गंगा की आजादी सुनिष्चित किये बिना अक्षुण्ण नहीं रह सकती है। उन्होंने कहा, पूरी दुनिया में सबसे बड़ा तीर्थ है मां गंगा। अपने विशिष्ठ गुणों के कारण ही गंगा जल सदियों से विश्वास, आस्था, निष्ठा और भक्ति भाव का केंद्र है। यहां तक कि उनमें 17 तरह के रोगाणुओं को नष्ट करने की शक्ति है।

गंगा जल मानव आरोग्य के संरक्षक जीवाणुओं को बचाता है। यह रोगाणुओं को नष्ट करने की विशिष्ट विलक्षण शक्ति रखता है, जिसे अंग्रेजी में बायोफाज तथा संस्कृत में ब्रह्मसत्व कहते हैं। इसका निर्माण हिमालय की वनस्पतियों एवं खनिजों से होता है, जो बांधों से नष्ट होता है। क्योंकि गंगत्व हिमालय की खनिज सफेद भवभूति से होता है। यह सिल्ट के रूप में जल में घुलकर गंगाजल के साथ हिमालय से समुद्र तक जाता था, जो किसी समय पूरी गंगा का जल अविरल-निर्मल बनाता था। बांध बनने पर यह सिल्ट नीचे बैठ जाती है। बंधे जल के ऊपर हरी नीली रंग की की काई; अल्गी बन जाती है, जिससे गंगाजल दूषित होकर अपने विषिष्ट गुणों को खो देता है।

राजेन्द्र सिंह कहते हैं, कि गंगा आस्था अंधविश्वास नहीं, विज्ञान था। यही आज अंधविश्वास बन गया है। जब तक गंगाजल में विशिष्ट गुण प्रवाहित होता था, तब तक गंगाजल का सभी कर्मकाण्ड लोक विज्ञानी समझ से होता था। बांधों से ऊपर बने गंगाजल से जो होता है वह तो आज भी सत्य है, लेकिन बांधों के नीचे जो करोड़ों-लाखों की भीड़ सिर्फ स्नान कर रही है, वह आज गंगा स्नान नहीं, कर्मकाण्ड और अंधविश्वास है। इसे सच में बदलना है, तो पुराने बांध हटाने होंगे तथा बन रहे बांधों को रोकना होगा और जो ऐसा करने के लिए तैयार होगा, उसे ही चुनकर संसद में भेजना होगा। कह कर भी जो नेता वैसा नहीं करता है, तो उसे पकड़ा जा सकता है, उसके विरूद्ध आवाज उठाई जा सकती है। इससे गंगा को बचाने का रास्ता खुलेगा, अंधविश्वास मिटेगा, विज्ञान और सत्य स्थापित होगा।

गौरतलब है कि गंगा को अविरल-निर्मल बनाने के लिए स्वामी निगमानंद, स्वामी नागनाथ, स्वामी ज्ञानस्वरूप सानन्द प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने गंगा सत्या ग्रह करके अपने प्राणों का बलिदान दिया है। स्वामी गोपाल दास परिपूर्णानंद, गोकुल दास का कथित अपहरण करके हत्या कर दिये जाने की बात कही गई, क्योंकि ये गंगा जी के लिए सत्याग्रह अनशन में संघर्षरत थे। गंगा जी की अविरलता की लड़ाई में स्वामी शिवानंद सरस्वती, स्वामी दयानंद मातृ-सदन के सभी स्वामियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है।

इस संघर्ष में रवि चोपड़ा, राषिद हयात सिद्दकी, भरत-मधु झुनझुनवाला, हेमन्त ध्यानी, विमल भाई, पूर्णिमा, समर्पिता, मां आनंदमयी आदि ने भी साथ दिया। गंगा लड़ाई में हजारों लाखों लोगों के साथ-साथ मेधा पाटकर व संदीप पाण्डे ने भी अच्छा काम आरंभ कर दिया है।

नदी पुनर्जीवन के लिए संघर्षरत संजय सिंह बताते हैं कि गंगा को निर्मल करने के लिए लाखों-करोड़ों लोग हैं, ये सभी संगठित हो जाएं तो गंगा जी को पुर्नजीवित करने का काम संभव है। अभी तक गंगा नवीनीकरण काम हुआ है, नवीन तो पूर्ण होने से पहले ही पुराना हो जाता है। गंगा जी के साथ अभी तक ऐसा ही हुआ। मां गंगा जी को पुनर्जीविन चाहिए यह अविरलता से ही संभव है।

सरकार अविरलता की बात नहीं करना चाहती, जबकि अविरलता से निर्मलता आएगी। यह बात बहुत बार बोली गई है फिर भी सरकार कंपनियों के दबाव में आकर गंगा जी की अविरलता का काम करने को तैयार नहीं है। गंगा, आयुर्वेद और आरोग्य विज्ञान के साथ-साथ सभी सभ्यताओं और संस्कृतियों से जोड़ने वाला प्रवाह है। यह प्रवाह जब तक आजादी से प्रवाहित हुआ, तब तक इसने सभी धर्मो का सम्मान करके शांति, सद्भावना कायम रखीं। इसी प्रवाह से सभी को प्यार, ज्ञान, अध्यात्म सभी कुछ मिलता रहा है। जब से इसे बांधा गया है, तभी से इसे धर्मों में भी जकड़ना आरंभ हो गया। आज जीवित रहकर गंगा के लिए काम करना ही सबसे बड़ा बलिदान है।

बहरहाल, भारत की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक आजादी गंगा जी की आजादी से जुड़ी है। भारत की मां गंगाजी को जगह-जगह अब बांधा जा रहा है। गंगा जी त्रिपथा है। एक पथ, भागीरथी को आजादी 2009 में मिली थी। जब उस पर बन रहे, तीन बांध रद्द हुए थे। आगे बांध न बनने की रोक लगी थी। भागीरथी को गौमुख से उत्तरकाशी तक पर्यावरणीय संवदेश्नशील क्षेत्र घोषित करके मां गंगा जी के बाल्यवस्था में छेड़-छाड़ करना बंद कर दिया था। ऐसी ही सम्पूर्ण आजादी मां गंगा जी को तब मिलेगी जब ऐसा ही काम मां गंगा की दो मुख्य जल धाराओं अलककनंदा और मंदाकनी पर किया जाए।

अलकनंदा और मंदाकनी की आजादी के लिए प्रो जीडी अग्रवाल; स्वामी सानंदद्ध ने गंगा सत्याग्रह करते हुए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया हैं अब इसी क्रम में स्वामी शिवानंद सरस्वती जी का गंगा सत्याग्रह 3 अगस्त से जारी है।

यह भी पढ़ें : इस ग्रुप को मिला IPL का टाइटल स्पॉन्सर

यह भी पढ़ें : नई शिक्षा नीति में नहीं है छात्र संघ का उल्लेख ! क्या बच पाएगा छात्र संघ ?

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com