जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की बिना ठोस आधार के गिरफ्तारी पर गहरी चिंता जताते हुए हवाई अड्डा और प्रवर्तन अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कानूनी सलाह और व्यावहारिक सोच के बिना कोई भी कार्रवाई न करें। कोर्ट ने कहा कि जल्दबाजी में की गई गिरफ्तारियां भारत की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं और यह मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन है।

“ऐसी कार्रवाई भारत की प्रतिष्ठा को धूमिल करती है” – सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने यह टिप्पणी रॉकी अब्राहम नामक एक एनआरआई की गिरफ्तारी को रद्द करते हुए की। रॉकी पिछले दो दशकों से इटली में बसे भारतीय नागरिक हैं। उन्हें जनवरी 2025 में दिल्ली एयरपोर्ट पर हिरण का सींग ले जाने के आरोप में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत गिरफ्तार किया गया था।
कोर्ट ने कहा:“जरा सी जानकारी पर यात्रियों को हिरासत में लेने की प्रवृत्ति न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि इससे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की साख भी खराब होती है।”
“इसलिए हम न केवल गिरफ्तारी को अवैध घोषित करते हैं, बल्कि उनके खिलाफ दर्ज की गई FIR और उसके अंतर्गत की गई सारी आपराधिक कार्यवाहियों को भी रद्द करते हैं।”
क्या था मामला?
रॉकी अब्राहम इटली से छुट्टी बिताने और इलाज के लिए भारत आए थे। दिल्ली एयरपोर्ट पर उनके सामान में हिरण का सींग मिलने का दावा करते हुए उन्हें वन्यजीव अधिनियम की धारा 39, 49 और 51 के तहत हिरासत में लिया गया।
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उन्हें दो सप्ताह तक हिरासत में रखा गया।
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फिर कड़ी जमानत शर्तों के तहत रिहा किया गया, जिसमें भारत छोड़ने पर प्रतिबंध भी शामिल था।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा संदेश
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में कहा कि:
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एयरपोर्ट अधिकारियों को केवल संदेह के आधार पर कार्यवाही से बचना चाहिए।
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कोई भी कार्रवाई उचित कानूनी सलाह लेने के बाद ही की जानी चाहिए।
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प्रवर्तन एजेंसियों को व्यावहारिक और संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए, खासकर अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के मामलों में।
कोर्ट ने किन बिंदुओं पर दिया जोर?
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मानवाधिकारों की रक्षा सर्वोपरि
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भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि बनाए रखना जरूरी
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गलत गिरफ्तारी से प्रशासनिक और न्यायिक प्रणाली पर सवाल उठते हैं
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अधिकारियों को प्रशिक्षण और स्पष्ट दिशानिर्देश दिए जाएं
इस फैसले के साथ सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जल्दबाजी में की गई गिरफ्तारी और जांच की प्रक्रियाएं भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मसार कर सकती हैं। यह निर्णय देशभर के एयरपोर्ट अधिकारियों और प्रवर्तन एजेंसियों के लिए एक सख्त चेतावनी और मार्गदर्शक की तरह देखा जा रहा है।
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