जुबिली न्यूज डेस्क
लखनऊ: कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। भारतीय सेना के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने अस्थायी रोक लगा दी है। अदालत ने राहुल की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला दिसंबर 2022 का है, जब राहुल गांधी अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पर थे। यात्रा के दौरान उन्होंने कथित रूप से कहा था कि “चीनी सैनिकों के हाथों भारतीय जवान पिट रहे हैं।” इस बयान को लेकर लखनऊ निवासी उदय शंकर श्रीवास्तव ने मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि राहुल गांधी की यह टिप्पणी भारतीय सेना के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली थी और इससे जनता में भ्रम फैला। इस पर लखनऊ की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने राहुल को समन भेजा था।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सोमवार (4 अगस्त, 2025) को जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने सुनवाई के दौरान राहुल गांधी से कई तीखे सवाल पूछे।
कोर्ट ने कहा:“आप विपक्ष के नेता हैं। अगर कोई सवाल था तो संसद में उठाना चाहिए था, सोशल मीडिया पर कहने की क्या जरूरत थी?”
“आपको कैसे पता कि चीन ने 2000 किमी जमीन कब्जा कर ली है?”
“जब सीमा पर तनाव हो, तब कोई सच्चा भारतीय ऐसा बयान नहीं देता।”
कोर्ट ने ये भी कहा कि फ्रीडम ऑफ स्पीच का मतलब यह नहीं कि कोई कुछ भी कह सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी से यह स्पष्ट करने को कहा कि उनकी टिप्पणी किसी विश्वसनीय जानकारी पर आधारित थी या नहीं।
हाई कोर्ट से मिल चुकी है झटका
इससे पहले 29 मई 2025 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने समन आदेश और शिकायत को दुर्भावना से प्रेरित बताते हुए रद्द करने की मांग की थी।
अगली सुनवाई में क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं की है, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने को कहा है। तब तक लखनऊ कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लागू रहेगी।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस मामले को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी हलचल तेज है। जहां कांग्रेस राहुल गांधी को अभिव्यक्ति की आज़ादी का पक्षधर बता रही है, वहीं बीजेपी इसे देश की सेना का अपमान करार दे रही है।
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राहुल गांधी को भले ही सुप्रीम कोर्ट से फौरी राहत मिल गई हो, लेकिन सेना पर टिप्पणी जैसे गंभीर मामले में उन्हें कोर्ट में अपनी बातों का ठोस आधार पेश करना होगा। सुप्रीम कोर्ट के सख्त तेवरों से साफ है कि राजनीतिक बयानों की सीमा तय करने की ज़रूरत अब पहले से कहीं ज्यादा महसूस की जा रही है।