जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। देश के 17वें उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले INDIA गठबंधन के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी ने मीडिया के सामने विश्वास जताया कि उनकी पार्टी और गठबंधन इस चुनाव में जीत दर्ज करेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी कोशिश केवल सांसदों की अंतरात्मा की आवाज को जगाने की है, ताकि वे सही दिशा में निर्णय ले सकें।
रेड्डी ने साफ किया कि न तो उन्होंने क्रॉस-वोटिंग की अपील की है और न ही ऐसा करने का कोई इरादा है। मीडिया से बातचीत के दौरान जब उनसे गृह मंत्री अमित शाह के बयानों पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने हल्के व्यंग्य के साथ कहा, “आप रोज वही सवाल पूछेंगे तो मैं रोज वही जवाब थोड़े दूंगा।”
जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी का लंबा और प्रतिष्ठित करियर रहा है। वे सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश रह चुके हैं और गोवा के लोकायुक्त पद पर भी सेवाएं दे चुके हैं। विपक्ष ने उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाकर यह संदेश देने की कोशिश की है कि उनका मुकाबला केवल एक राजनीतिक चेहरा नहीं बल्कि संविधान के मूल्यों की रक्षा करने वाले व्यक्तित्व से है। विपक्ष ने इस चुनाव को विचारधारा की लड़ाई बताया है, जबकि एनडीए के पास संख्याबल का स्पष्ट लाभ है।
जीत के लिए क्या है जादुई आंकड़ा?
वर्तमान में लोकसभा की कुल संख्या 543 है, जिसमें से एक सीट रिक्त है। यानी 542 सदस्य हैं। वहीं राज्यसभा में 245 सीटें हैं, जिनमें से 6 खाली हैं और 239 सदस्य मौजूद हैं। इस तरह कुल सदस्य संख्या 781 है। किसी भी उम्मीदवार की जीत के लिए 391 वोट जरूरी हैं।
#WATCH दिल्ली: INDIA गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने कहा, "…मुझे पूरा विश्वास है। हम चुनाव जीतने जा रहे हैं…मैं केवल लोगों की अंतरात्मा की आवाज को जगाने की कोशिश कर रहा हूं। मैंने यह नहीं कहा कि क्रॉस-वोटिंग होगी…" pic.twitter.com/NKZBEhrSo3
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 9, 2025
लेकिन हालात कुछ बदल गए हैं। नवीन पटनायक की बीजेडी, के. चंद्रशेखर राव की बीआरएस और शिरोमणि अकाली दल ने मतदान से दूरी बनाने का फैसला किया है। इन तीन दलों के कुल 12 सांसद हैं। इसके बाद प्रभावी निर्वाचक मंडल की संख्या घटकर 669 रह गई है। इस हिसाब से अब जीत के लिए 385 सांसदों का समर्थन पर्याप्त होगा।
इस समीकरण से साफ है कि मुकाबला भले ही सीधा और कांटे का बताया जा रहा हो, लेकिन सत्तारूढ़ गठबंधन के पास अभी भी संख्याबल का पलड़ा भारी है। दूसरी ओर, विपक्ष का दावा है कि यह चुनाव केवल संख्या का नहीं बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों की लड़ाई है। अब सबकी निगाहें मंगलवार शाम आने वाले नतीजों पर टिकी हैं।