जुबिली न्यूज डेस्क
चंडीगढ़ | दिवाली का त्योहार जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, पंजाब में पराली जलाने के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। बीते 24 घंटों में 11 नए मामले सामने आए हैं, जिससे इस सीजन में पराली जलाने की कुल घटनाएं 176 तक पहुंच चुकी हैं।
पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और प्रशासनिक टीमें लगातार कार्रवाई में जुटी हुई हैं। साथ ही, पराली न जलाने वाले किसानों को प्रोत्साहन देने की भी व्यवस्था की जा रही है।
अमृतसर में सबसे ज्यादा पराली जलाने के केस
अब तक सामने आए 176 मामलों में से 73 अकेले अमृतसर जिले से हैं, जो सबसे अधिक है। हालांकि, अमृतसर में पराली जलाने के मामलों में इस साल 80% की गिरावट दर्ज की गई है।
2024 में 378 केस थे, जबकि इस बार अब तक सिर्फ 73।
डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी ने कहा,
“किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है और आर्थिक सहायता भी दी जा रही है।”
कानूनी कार्रवाई और जुर्माना
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कुल 176 मामलों में से 106 पर FIR दर्ज
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89 मामलों में जुर्माना लगाया गया
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अब तक ₹4.40 लाख का जुर्माना वसूला गया
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55 किसानों की जमीन पर रेड एंट्री की गई
प्रशासन किसानों के लिए हेल्पलाइन और मंडियों में हेल्प डेस्क भी संचालित कर रहा है ताकि वे वैकल्पिक समाधानों का लाभ उठा सकें।
पंजाब के शहरों में बढ़ता वायु प्रदूषण | AQI रिपोर्ट
गुरुवार को पंजाब के 4 प्रमुख शहरों का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) ‘येलो जोन’ में दर्ज किया गया, जो चिंताजनक है:
शहर | AQI |
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लुधियाना | 105 |
पटियाला | 105 |
जालंधर | 124 |
खन्ना | 193 (सबसे खराब स्थिति) |
AQI 100 से ऊपर जाना वायु गुणवत्ता में गिरावट का संकेत है
खन्ना शहर ‘मॉडरेट’ से ‘खराब’ श्रेणी की ओर बढ़ता दिख रहा है
पराली जलाना क्यों है खतरनाक?
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पराली जलाने से निकलने वाला धुंआ हवा में जहरीले कण छोड़ता है
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यह धुंआ मिलकर स्मॉग बनाता है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है
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बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा मरीजों के लिए यह विशेष रूप से खतरनाक है
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दिल्ली-NCR समेत पूरे उत्तर भारत में इसका प्रभाव महसूस होता है