Friday - 5 January 2024 - 2:55 PM

पायलट मुद्दे पर सुप्रीम फैसले का इंतज़ार करें स्पीकर

जुबिली न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली. राजस्थान में डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाये गए सचिन पायलट और उनके समर्थक 19 कांग्रेस विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने का मामला हाईकोर्ट के साथ-साथ अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गया है. हाईकोर्ट में 24 जुलाई को और सुप्रीम कोर्ट में 27 जुलाई को सुनवाई होगी. कोर्ट का फैसला आने तक राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष पायलट और अन्य 19 विधायकों के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर सकते.

उल्लेखनीय है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब सरकार बचाने भर के विधायक जुटा लिए तो सचिन पायलट को डिप्टी सीएम पद से हटाने की सिफारिश कर दी. सरकार से बाहर होने के बाद सचिन 19 विधायकों के साथ बीजेपी से न मिल जाएँ इस डर से विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी को इन्हें अयोग्य ठहराने की सिफारिश कर दी.

विधानसभा अध्यक्ष कोई फैसला करते इससे पहले पायलट और अन्य विधायक हाईकोर्ट पहुँच गए. हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 24 जुलाई की तारीख तय करते हुए विधानसभा अध्यक्ष को आदेश दिया कि वह हाईकोर्ट के फैसले से पहले कोई फैसला नहीं कर सकते. हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटा दिया. सुप्रीम कोर्ट ने आज दोनों पक्षों को सुनने के बाद अगली सुनवाई 27 जुलाई तक टाल दी और विधानसभा अध्यक्ष को आदेश दिया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले वह कोई फैसला नहीं करें.

पायलट और अन्य 19 विधायकों के मामले में हाईकोर्ट 24 को और सुप्रीम कोर्ट 27 जुलाई को फैसला सुना सकती है. जब तक अदालत का फैसला नहीं आ जाता तब तक स्पीकर कोई फैसला नहीं कर सकते. सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के खिलाफ स्पीकर द्वारा दायर की गई विशेष अनुमति याचिका में कहा गया था कि न्यायपालिका से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वह ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करेगी जिससे संवैधानिक गतिरोध पैदा हो. सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर का पक्ष तो सुना लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि 27 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला सुनाने तक वह कोई कार्यवाही नहीं कर सकते.

सुप्रीम कोर्ट ने कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी को सुनने के बाद कहा कि अगर अध्यक्ष खुद से दो बार असहमत हो सकते हैं तो वह 24 घंटे का इंतज़ार क्यों नहीं कर सकते. यह लोकतंत्र से सम्बंधित महत्वपूर्ण सवाल है, मुद्दा गंभीर है, सुप्रीम कोर्ट इसे सुनना चाहता है, कल भी मामले पर सुनवाई जारी रहेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता कपिल सिब्बल से पूछा कि पार्टी के अन्दर लोकतंत्र को लेकर आपके क्या विचार हैं. सिब्बल ने कहा यह विधायकों को समझाने के लिए है. विधायक कह सकते थे कि वह छुट्टी पर थे, अभिव्यक्ति की आज़ादी का इस्तेमाल कर रहे थे.

सप्रीम कोर्ट ने दूसरा सवाल पूछा कि क्या पार्टी की बैठक में शामिल होने के लिए क्या व्हिप जारी किया जा सकता है. सिब्बल ने कहा कि स्पीकर ने नोटिस जारी किया था व्हिप नहीं. यह नोटिस पार्टी विरोधी गतिविधियों के संदर्भ में है.

सिब्बल ने कहा कि स्पीकर ने अभी तक कुछ तय नहीं किया है इसलिए हाईकोर्ट में याचिका ही दायर नहीं की जा सकती. विधायकों को मेल के ज़रिये नोटिस भेजे गए लेकिन वह जवाब देने के बजाय न्यूज़ चैनलों से बात करते रहे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट 24 जुलाई को फैसला सुनाये लेकिन यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन होगा. जब तक सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता तब तक स्पीकर अपना फैसला नही सुना सकते. सुप्रीम कोर्ट यही जानने की कोशिश कर रही है कि विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई स्वीकृति के योग्य हा या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर से स्पष्ट कर दिया है कि विरोध की आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता.

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सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर की याचिका पर कहा कि यह कोई साधारण मामला नहीं है, यह निर्वाचित प्रतिनिधियों का मामला है. अदालत ने पायलट और विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई शुरू करने की वजह भी पूछी.

कपिल सिब्बल ने कहा कि विधायकों को अयोग्य ठहराने की प्रक्रिया को अदालत नहीं रोक सकती. सुप्रीम कोर्ट ने दोनों वकीलों की बात को सुनने के बाद निर्देश दिया कि जब तक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता तब तक स्पीकर कोई फैसला नहीं कर सकते.

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