जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश विधानमंडल सत्र के पहले दिन मंगलवार को विधानसभा में समाजवादी पार्टी कार्यालय का उद्घाटन किया जाएगा। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और अखिलेश यादव मौजूद रहेंगे। शीतकालीन सत्र में अखिलेश यादव और इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ भाषण देंगे। सोमवार को सतीश महाना द्वारा बुलाई गई कार्यमंत्रणा की बैठक में यह तय हुआ।

बता दें कि कांग्रेस और बसपा को विधानसभा और विधान परिषद में आवंटित कार्यालय को वापिस ले लिया गया है। जबकि सपा को एक बड़ा कार्यालय दिया गया है। पार्टियों को विधानसभा सदस्यों के अनुसार विधानसभा में कार्यालय का आवंटन किया जाता है। जिसे पार्टी के विधानसभा सदस्य और विधान परिषद सदस्य कार्यालय के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
कांग्रेस के पास दो, बसपा के पास एक सदस्य
आपको बता दें कि भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी बड़े राजनीतिक दल से विधानसभा में स्थित कार्यालय छीन लिया गया हो। विधानसभा और विधान परिषद में जीतकर आने वाले विधायकों व विधान परिषद सदस्यों के बैठने के लिए उनकी पार्टी को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा कार्यालयों का आवंटन किया जाता है। विधानसभा अथवा विधान परिषद के सत्र से इतर विधायक और एमएलसी इन कार्यालयों में बैठ सकते हैं या आराम कर सकते हैं।
किसी भी पार्टी के विधायकों की संख्या के आधार पर कार्यालय और अन्य सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। यूपी विधानसभा सदस्य नियमावली 1987 की धारा 157 (2) कहती है कि ऐसे दल जिनकी सदस्य संख्या 25 या उससे अधिक है, उन्हें सचिवालय द्वारा कक्ष, चपरासी, टेलीफोन आदि उन शर्तों के साथ दिए जा सकते हैं जैसा विधानसभा अध्यक्ष निर्धारित करें।
अब यूपी में कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी के विधायकों की संख्या कम है तो इन दोनों दलों को पूर्व में आवंटित किए गए पुराने दफ्तरों को वापस ले लिया गया है और दोनों दलों को छोटे कमरे अलॉट किए गए हैं। जबकि यूपी की प्रमुख विपक्षी पार्टी सपा को बड़ा दफ्तर अलॉट किया गया है। कांग्रेस पार्टी के इतिहास में यह पहली बार हुआ है, जब सबसे बड़े राज्य के विधान मंडल के भीतर उनका बड़ा ऑफिस वापस ले लिया गया है।
जानकार बताते हैं यूपी विधानसभा की नियमावली के अनुसार, 25 से कम सदस्यों वाले दलों को कक्ष और अन्य सुविधाएं प्राप्त करने का अधिकार नहीं है। इस संबंध में अंतिम निर्णय का अधिकार स्पीकर के पास है। विधान मंडल में बसपा और कांग्रेस के कार्यालय लंबे अरसे से आवंटित थे। दोनों दलों के पुराने कार्यालय वापस ले लिए गए हैं, जबकि समाजवादी पार्टी का संख्याबल अधिक होने के कारण उसके कार्यालय को बड़ा कर दिया गया है। निषाद पार्टी और राजाभैया की पार्टी को भी छोटे कमरे अलॉट किये गए हैं।
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