Sunday - 7 January 2024 - 12:52 PM

तो क्या अब निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को नहीं होगी फांसी

न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्भया गैंगरेप और हत्या के मामले के ट्रायल कोर्ट से जारी डेथ वारंट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता मुकेश को निर्देश दिया कि वो ट्रायल कोर्ट जाकर बताएं कि उनकी दया याचिका अभी लंबित है।

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि किसी भी सूरत में निर्भया के दोषियों को 22 जनवरी को फांसी सम्भव नहीं है। 21 जनवरी दोपहर हम ट्रायल कोर्ट का रुख करेंगे। अगर दया याचिका खारिज होती है तो भी सुप्रीम के फैसले के मुताबिक 14 दिन की मोहलत वाला नया डेथ वारंट जारी करना होगा।

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सुनवाई के दौरान जस्टिस मनमोहन ने कहा कि ऐसा लगता है कि ये याचिका मामले को खींचने के लिए दायर की गई है। कोर्ट ने कहा कि 2017 में जब दोषियों की अपील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया था तभी उन्हें दया याचिका दाखिल करनी चाहिए थी क्योंकि दया याचिका दाखिल करने की घड़ी तभी से शुरू हो गई थी।

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तब रेबेका जॉन ने कहा कि वो खुद डेथ वारंट पर रोक लगाने के लिए निचली अदालत जाना चाहते हैं और पूरे केस को कोर्ट के समक्ष रखना चाहते हैं लेकिन हम कोर्ट से अंतरिम राहत चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वो अपनी याचिका को वापस लेना चाहती हैं लेकिन एक गुहार के साथ कि दोबारा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर सकें।

सुनवाई के दौरान मुकेश की तरफ से वकील रेबेका जॉन ने कहा कि डेथ वारंट को रद्द किया जाए क्योंकि उसकी दया याचिका अभी राष्ट्रपति के पास लंबित है। उन्होंने कहा कि तिहाड़ जेल ने जो नोटिस सभी को सर्व किया था उसमें केवल दया याचिका का जिक्र था, क्युरेटिव का नहीं।

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रेबेका जॉन ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि 9 जनवरी को दो दोषियों मुकेश और विनय ने क्युरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी। रेबेका जॉन ने कोर्ट को बताया कि उसे तिहाड़ जेल प्रशासन का नोटिस मिला था और उसने ही वृंदा ग्रोवर को क्युरेटिव याचिका दाखिल करने को कहा था।

सुप्रीम कोर्ट छह जनवरी को खुला। वृंदा ग्रोवर ने तिहाड़ जेल से कुछ दस्तावेज मांगे थे ताकि क्युरेटिव पिटीशन दाखिल किया जा सके। लेकिन ट्रायल कोर्ट ने 7 जनवरी को डेथ वारंट जारी कर दिया।

रेबेका जॉन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 14 जनवरी को 2 बजे क्युरेटिव पिटीशन खारिज कर दिया था और उसके बाद 3 बजे राष्ट्रपति को भेजने के लिए दया याचिका तिहाड़ जेल के अधीक्षक को सौंपा गया। तब जस्टिस मनमोहन ने पूछा कि आपकी अपील 2017 में ही खारिज हो गई थी तो आपने क्युरेटिव और दया याचिका क्यों नहीं दाखिल किया।

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आप ढाई साल से क्या कर रहे थे। कानून आपको क्युरेटिव और दया याचिका दायर करने के लिए उचित समय देता है। तब रेबेका जॉन ने कहा कि किसी भी याचिका को खारिज करते समय सुप्रीम कोर्ट ने ये नहीं कहा कि याचिका दायर करने की समय सीमा खत्म हो गई थी।

जॉन ने कहा राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की गई है। उस पर पहले फैसला होना चाहिए। अगर दया याचिका खारिज होती है तो उसके बाद याचिकाकर्ता को 14 दिनों का समय कानूनी विकल्प अपनाने के लिए मिलता है।

सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से एएसजी मनिंदर आचार्य ने कहा कि यह याचिका प्रीमैच्योर है और यह सुनवाई योग्य नहीं है। इस याचिका को खारिज किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जेल मैनुअल के मुताबिक अपील खारिज होने के बाद दया याचिका दायर करने के लिए सात दिनों का समय मिलता है।

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उन्होंने कहा कि क्युरेटिव पिटीशन और दया याचिकाएं दोषियों द्वारा अलग-अलग दायर की जा रही हैं ताकि न्यायिक प्रक्रिया को बाधित किया जा सके। दिल्ली पुलिस की ओर से वकील राहुल मेहरा ने कहा कि दया याचिका के निपटारे तक फांसी नहीं दी जा सकती है। अगर दोषियों की ओर से जानबूझकर कर देरी हो रही है तो कोर्ट फांसी के अमल की प्रकिया में तेजी लाने को कह सकती है।

उल्लेखनीय है कि पिछले 7 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप और हत्या के चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट जारी कर दिया था। कोर्ट ने चारो को 22 जनवरी को सुबह सात बजे फांसी देने का आदेश दिया था। पिछले 14 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने दो दोषियों विनय और मुकेश की क्युरेटिव पिटीशन को खारिज कर दिया।

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