जुबिली स्पेशल डेस्क
बिहार इस वक्त काफी बुरे दौर से गुजर रहा है। नीतीश कुमार सालों से सत्ता में बैठे हैं लेकिन उनके राज में एक बार फिर अपराधियों के हौंसले बुलंद नजर आ रहे हैं।
हत्या डकैती जैसे मामले एक बार फिर बिहार में देखने को मिल रहा है। महिला अपराध के मामले भी लगातार अखबारों की सुर्खिया बनी रहती है।
अब मुकेश सहनी के पिता की हत्या ने एक बार फिर बिहार की सियासत के साथ-साथ यहां की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया है। बीजेपी और उसके सहयोगी भले ही लालू राज को जंगलराज बताये लेकिन उनके राज में भी आपराधिक घटनाओं पर लगाम नहीं लगी है।

अगर बिहार में बड़ी वारदात की बात करें तो पटना के बिहटा में एक्सिस बैंक लूट कांड को कौन भूल सकता है। इस लूटकांड में अपराधियों ने सरेआम 17.50 लाख रुपये लूट के फरार हो गए थे। वहीं इसके अलावा कैश काउंटर की कतार में खड़े ग्राहक गणेश चौधरी से 41 हजार और एक माइक्रो फाइनेंस कंपनी के कर्मी से एक लाख 45 हजार रुपये लूटे गए है। वहीं बालू माफियों का भी लगातार दबदबा देखने को मिल रहा है।
हत्या और अपरहरण के मामले में बिहार आगे नजर आ रहा है। एक मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार बिहार पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट पर 2004 (लालू काल) से लेकर 2019 (नीतीश काल) तक के आपराधिक आंकड़े दर्ज है। उन आंकड़ों पर गौर करें तो लालू यादव की सरकार के आखिरी साल 2004 में अपराध के कुल 1,15,216 मामले दर्ज हुए थे, जबकि नीतीश कुमार की सरकार में 15 साल बाद 2019 में अपराध के आंकड़े घटने की बजाय (जैसा कि उनके द्वारा दावा किया जाता है) बढक़र 2,69,096 हो गए, यानी दोगुने से भी ज्यादा।

मुकेश सहनी के पिता की हत्या के बाद एक बार फिर बिहार सरकार के साथ-साथ कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहा है। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी के पिता की हत्या को लेकर आरजेडी के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि बिहार में क्या चल रहा है? कोई दिन ऐसा नहीं जाता जब हत्या नहीं होती। मुख्यमंत्री बेहोशी की हालत में है।
उन्हें अब तक पता भी नहीं चला होगा कि कुछ हुआ है। राज्य में कोई भी नेता सुरक्षित नहीं है। बिहार की व्यवस्था भगवान भरोसे है।
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