Saturday - 6 January 2024 - 5:51 PM

तो क्या BJP नेताओं को नाराज़ करना गाजियाबाद के एसएसपी को पड़ा है भारी ?

जुबिली स्पेशल डेस्क

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर योगी सरकार बन गई है। यूपी के सीएम योगी एक बार फिर एक्शन में नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी का खौफ अपराधियों में इतना ज्यादा खौफ है कि वो सरेंडर करते दिखायी पड़ रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक 15 दिन के अंदर 50 अपराधियों ने सरेंडर कर दिए है जबकि ये बदमाश अपराध से तौबा करने की कसम भी खा रहे हैं। दूसरी ओर योगी सरकार भी अपराध को पूरी तरह से लगाम लगाने की बात कह रही है।

इसी के तहत पुलिसिया तंत्र को मजबूत करने की कवायत भी तेज हो गई है। गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पवन कुमार को गुरुवार को कर्तव्यों के निर्वहन में कथित लापरवाही और अपराध पर प्रभावी नियंत्रण रखने में असमर्थता के लिए निलंबित किया गया।

हालांकि उनके ऊपर इस तरह के एक्शन को लेकर अब कई तरह का सवाल भी उठ रहा हैं। कई बड़े महारथी आईपीएस के खिलाफ कारवाई लंबित है लेकिन पवन कुमार पर इतना बड़ा एक्शन कैसे लिया गया है।

इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी बहस देखने को मिल रही है। मिस्टर क्लीन की इमेज वाले 2009 बैच के आईपीएस पवन कुमार की ईमानदारी व अपराईट स्टैंड की सराहना देश भर के अफसर कर रहे हैं। आईपीएस-आईएएस- आईआरएस के व्हाट्सएप ग्रुप में निलंबन चर्चा का विषय बन गया है। इसे मनोबल तोडऩे वाली करवाई बताया है।

दूसरी ओर गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पवन कुमार पर इस एक्शन के पीछे दूसरी कहानी भी बतायी जा रही है। कहा जा रहा है कि पवन कुमार का निलंबन बीजेपी के साथ हुए पंगे की वजह से हुआ है।

दरअसल पवन कुमार पर कार्रवाई को लेकर कहा जा रहा है कि बीजेपी के बड़े नेताओं की एसएसपी रहे पवन कुमार से नाराजगी की वजह से उनपर गाज गिरी है।

कुछ दिनों पहले राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल , गाजियाबाद मेयर आशा शर्मा और गाजियाबाद भाजपा महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जिले के पुलिस अधिकारियों पर विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत को नहीं पचा पाने का आरोप लगाया था।वहीं इस पूरे मामले पर अफसरों के मुताबिक शासन के आदेश में दिए कारणों में कोई बल नहीं है। इन वजहों से सिर्फ ट्रांसफर किया जा सकता है क्योंकि कई जिलों में इससे बड़ी बड़ी आपराधिक घटनाओं के बावजूद निलंबन की कारवाई नहीं हुई।

गोरखपुर के मनीष गुप्ता हत्याकांड के मामले में वहां के डीएम-एसएसपी का एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें वो परिवारीजनों से हत्याकांड को हादसा करार देते हुए केस न करने को कह रहे थे। तब भी कोई कारवाई नहीं हुई।

अफसरों ने सोशल मीडिया से लेकर व्हाट्सएप स्टेट्स तक पर पवन कुमार की हौसला अफजाई करते हुए पोस्ट लिखी है। हालांकि निलंबन पर कोई खुलकर बोलने को तैयार नहीं।

गाजियाबाद के एसएसपी रहते पवन कुमार का पंगा भाजपा नेताओं से तगड़ा था। पिछली सरकार में 8 दिनों मे चार बार तबादला हुआ। इस आईपीएस ने न्यायिक अफसरों के खिलाफ भी हाईकोर्ट को पत्र लिखा था। हम भ्रष्ट अफसरों की बखिया उधेड़तें हैं तो मिस्टर क्लीन की इमेज वाले अफसरों के साथ भी खड़े होना जानते हैं।

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