न्यूज डेस्क
पूरी दुनिया जानती है कि आतंकवादियों का शरणस्थली पाकिस्तान हैं, लेकिन पाकिस्तान मानने को तैयार नहीं होता है। भारत में कई बड़ी आतंकी गतिविधियां हो चुकी है और भारत ने उसके सुबूत भी सौंपे लेकिन पाकिस्तान मामने को तैयार नहीं होता कि उसके इशारे पर ही भारत को आतंकी अस्थिर करने में लगे हुए हैं।
फिलहाल आतंकवाद मुद्दे पर चारों ओर से घिरे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान आखिकार यह मामने को तैयार हो गए हैं कि कई आतंकी संगठन पाकिस्तान की धरती पर पैदा हुए और उन्हें ट्रेनिंग दी गई। इतना ही नहीं इमरान ने आतंकी संगठनों के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया है।

इमरान ने कहा कि, ’80 के दशक में जब सोवियत ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया तो इन मुजाहिदीनों को जिहाद के लिए तैयार किया गया। इसकी फंडिंग अमेरिका के CIA ने की।’
आतंक का ठीकरा अमेरिका पर फोड़ते हुए उन्होंने कहा कि एक दशक के बाद जब अमेरिकी खुद अफगानिस्तान में आ गए तो यह जिहाद नहीं आतंकवाद हो गया। यह बड़ी विडंबना है। मुझे लगता है कि पाकिस्तान को न्यूट्रल रहना चाहिए था, क्योंकि इन संगठनों में शामिल होना हमारे लिए नुकसानदेह साबित हुआ और हमने अपने 70 हजार लोगों को खो दिया।
उन्होंने कहा कि हमें 100 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ और अंत में अमेरिकियों ने पाकिस्तान को नाकामी का सेहरा पहना दिया। यह पाकिस्तान के साथ बहुत बुरा हुआ।
अमेरिका से पाक का मोहभंग
गौरतलब है कि कभी अमेरिका के साथ दोस्ती निभाने वाले पाकिस्तान का आज मोहभंग हो गया है। यह मोहभंग ऐसे नहीं हुआ है। अगस्त के पहले सप्ताह में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद पाकिस्तान ने कई देशों के दरवाजा खटखटाया लेकिन हर जगह उसे मुंह की खानी पड़ी।
इमरान खान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप से भी इस बारे में बात की थी, लेकिन इसके बाद फ्रांस में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के दौरान ट्रंप ने भी कहा कि यह भारत का आंतरिक मामला हैं और पीएम मोदी जो भी करेंगे बहुत अच्छा होगा।
इस्लाम के नाम पर ध्रुवीकरण
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने टीवी पर प्रसारित किए गए अपने भाषण में यह भी कहा कि आज बड़े देश उनकी सहायता के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘आज कमजोर की कोई सुनने वाला नहीं है।’ इमरान खान अमेरिका जैसे देशों का सहयोग न पाकर दुनियाभर में इस्लाम के नाम पर धु्रवीकरण करने का भी पैतरा अपना चुके हैं।
उन्होंने यह भी कहा था कि दुनिया के सभी इस्लामिक देशों के एक साथ आना चाहिए। बता दें कि पाकिस्तान सरकार ने यूएई में पीएम मोदी के सम्मान पर भी नाराजगी जताई थी और सीनेट के प्रतिनिधिमंडल ने अपनी यूएई यात्रा रद्द कर दी थी।
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