जुबिली न्यूज डेस्क
देश में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) 2025 की प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू होने जा रही है। इस प्रक्रिया में 12 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। हालांकि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और कई अन्य राज्यों में विपक्षी दलों ने SIR के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और कानूनी चुनौती की तैयारी कर ली है।

तमिलनाडु में सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला
तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके ने SIR को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विपक्षी दलों के साथ बैठक कर इस प्रस्ताव को पारित किया। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया 2026 विधानसभा चुनाव के बाद की जानी चाहिए थी, लेकिन चुनाव आयोग ने इसे लागू करने का निर्णय लिया।
पश्चिम बंगाल में टीएमसी का मार्च
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस (TMC) 4 नवंबर को कोलकाता में विरोध मार्च निकाल रही है। टीएमसी का कहना है कि SIR प्रक्रिया चुपचाप वोटरों को हटाने का प्रयास है और वे सुनिश्चित करेंगे कि सभी पात्र मतदाता इसमें शामिल हों।
सपा और आप के सवाल
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि SIR में जातीय जनगणना का कॉलम जोड़ा जाना चाहिए। वहीं, AAP सांसद संजय सिंह ने बिहार के अनुभव का हवाला देते हुए कहा कि SIR के बाद भी मतदाता सूची में 5 लाख डुप्लीकेट वोटर और करीब 1 लाख अज्ञात मतदाता हैं।
कांग्रेस और केरल सरकार का विरोध
कांग्रेस ने SIR प्रक्रिया पर लगातार चुनाव आयोग और बीजेपी पर हमला किया है। राहुल गांधी ने बिहार में वोटर अधिकार यात्रा निकाली और इसे मतदाता सूची से विपक्षी वोटरों को हटाने की साजिश बताया।
केरल की लेफ्ट सरकार (एलडीएफ) ने भी SIR पर आपत्ति जताई है और कहा है कि यह स्थानीय निकाय चुनाव के समय लागू नहीं होना चाहिए।
SIR का शेड्यूल और प्रक्रिया
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4 नवंबर 2025: घर-घर जाकर गणना शुरू
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4 दिसंबर 2025: गणना समाप्त
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9 दिसंबर 2025: मतदाता सूची का ड्राफ्ट जारी, आपत्ति और दावा दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू
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8 जनवरी 2026: आपत्तियों की सुनवाई और सत्यापन
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7 फरवरी 2026: अंतिम मतदाता सूची जारी
शामिल राज्य: छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप।
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मुख्य निर्वाचन आयुक्त का बयान
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने SIR को दुनिया का सबसे बड़ा अभियान करार दिया और इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि 51 करोड़ मतदाताओं तक पहुंचने वाली यह प्रक्रिया ऐतिहासिक उपलब्धि है।
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