जुबिली स्पेशल डेस्क
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने मानवता के खिलाफ कथित अपराधों के एक मामले में मौत की सजा सुनाई है। यह फैसला ऐसे समय आया जब हसीना वर्तमान में भारत में निर्वासन में हैं। इसके बाद उनके बेटे सजीब वाजेद ने ट्रिब्यूनल और बांग्लादेश सरकार पर कड़े आरोप लगाए हैं।
वाजेद का बयान
सजीब वाजेद ने कहा कि मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस उनकी मां को छू भी नहीं सकते और उन्हें कुछ भी नुकसान नहीं पहुंचा सकते। उन्होंने इसे गैरकानूनी और असंवैधानिक बताया और कहा कि जब कानून का शासन बहाल होगा, तो यह फैसला टिक नहीं पाएगा।
उन्होंने कहा, “वे उन्हें मार नहीं पाएंगे, लेकिन फैसले को लागू करने की कोशिश करेंगे। सबसे पहले, उन्हें पकड़ना ही असंभव है। यहां सब कुछ इतना गैरकानूनी और असंवैधानिक है कि जब कानून का शासन आएगा, तो यह मामला खारिज हो जाएगा।”

नोबेल पुरस्कार पर टिप्पणी
यूनुस के नोबेल पुरस्कार पर सवाल उठाए जाने पर वाजेद ने कहा कि नोबेल पुरस्कार वापस नहीं लिए जाते, लेकिन उन्होंने यूनुस की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि वह बांग्लादेश को एक असफल और इस्लामी आतंकवादी राज्य में बदल रहे हैं। उन्होंने म्यांमार की नोबेल विजेता आंग सान सू ची का उदाहरण भी दिया, जिनके शासन में रोहिंग्या संकट हुआ था।
भारत पर टिप्पणी
हसीना वर्तमान में भारत में हैं, इस पर वाजेद ने कहा कि भारत में कानून का शासन और संविधान का पालन होता है। उन्होंने कांग्रेस और बीजेपी की तुलना करते हुए कहा कि भारत में उन्हें सुरक्षा दी जा रही है क्योंकि कानून का पालन होता है।
ट्रिब्यूनल और यूनुस सरकार पर आरोप
सजीब वाजेद ने कहा कि बांग्लादेश में ट्रिब्यूनल में 17 जजों को हटाकर नया जज नियुक्त किया गया, जिसे कोई अनुभव नहीं है। उनके अनुसार, हसीना को अपना वकील रखने की अनुमति नहीं दी गई और उनके वकील को खुद सरकार ने नियुक्त किया। उन्होंने बताया कि आमतौर पर ऐसे मुकदमे वर्षों तक चलते हैं, लेकिन इस मामले को केवल 140 दिनों में निपटा दिया गया, जो पूर्णतया न्याय का मजाक है।
वाजेद ने इसे पूरी तरह अवैध और पक्षपाती प्रक्रिया बताया और कहा कि सरकार ने ट्रिब्यूनल के नियमों का उल्लंघन किया।
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