जुबिली स्पेशल डेस्क
कांग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया है, जिससे पार्टी में असहजता बढ़ सकती है। उन्होंने 1975 में लगाए गए आपातकाल को भारत के इतिहास का “काला अध्याय” बताते हुए उसकी तीखी आलोचना की है।
थरूर ने कहा, “कैसे लोकतंत्र को कुचला जा सकता है, यह हमने 1975 में देखा था। लेकिन आज का भारत अब वो नहीं रहा। हमारी लोकतांत्रिक चेतना कहीं अधिक मजबूत है।”
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब थरूर ने पार्टी लाइन से हटकर बयान दिया हो। इससे पहले भी वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुछ नीतियों की खुले मंच पर सराहना कर चुके हैं।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत की विदेश नीति का समर्थन करने के लिए जब सांसदों की एक टीम बनाई गई थी, तो उसमें कांग्रेस से केवल थरूर को ही शामिल किया गया था। विदेश दौरों के दौरान उन्होंने मोदी सरकार की विदेश नीति की जमकर तारीफ की थी।
आपातकाल के दौर की घटनाओं का ज़िक्र करते हुए शशि थरूर ने लिखा, “इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी द्वारा चलाया गया जबरन नसबंदी अभियान उस समय की दमनकारी नीतियों का प्रतीक बन गया था।
खासकर ग्रामीण गरीबों पर जबरदस्ती की गई। नई दिल्ली जैसे शहरों में झुग्गियों को बिना किसी पुनर्वास योजना के उजाड़ दिया गया, जिससे हजारों लोग बेघर हो गए। शासन का ध्यान न तो उनके अधिकारों पर था और न ही उनके कल्याण पर।”
थरूर के इस बयान से कांग्रेस के भीतर एक बार फिर बहस तेज हो सकती है, क्योंकि पार्टी अब तक आपातकाल के मुद्दे पर बचाव की मुद्रा में रही है।
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