Saturday - 1 November 2025 - 3:39 PM

पिछले 20 सालों में दर्दनाक हादसों की पूरी लिस्ट यहां-देखें

जुबिली स्पेशल डेस्क

कासीबुग्गा (आंध्र प्रदेश) . एकादशी के अवसर पर आंध्र प्रदेश के कासीबुग्गा स्थित वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में शुक्रवार को बड़ी दुर्घटना हो गई। भीड़ बढ़ने के कारण अचानक भगदड़ मच गई, जिसमें कई श्रद्धालु दब गए।

शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक, कम से कम 9 लोगों की मौत की आशंका है, जबकि कई अन्य घायल हैं। सभी घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।

यह पहली बार नहीं है जब किसी धार्मिक स्थल पर ऐसी त्रासदी हुई हो। पिछले दो दशकों में देशभर के कई मंदिरों और धार्मिक आयोजनों में भीड़ नियंत्रण की कमी के चलते सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है।

पिछले वर्षों में हुई बड़ी भगदड़ें

  • हरिद्वार (27 जुलाई 2025):
    मनसा देवी मंदिर में बिजली के करंट फैलने की अफवाह से मची भगदड़ में 6 श्रद्धालुओं की मौत और दर्जनों घायल हुए।
  • गोवा (3 मई 2025):
    श्री लाईराई देवी मंदिर के वार्षिक उत्सव के दौरान 6 लोगों की जान गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए।
  • प्रयागराज (29 जनवरी 2025):
    महाकुंभ में देर रात धक्का-मुक्की से भगदड़ मचने पर 30 श्रद्धालु मारे गए और 60 घायल हुए।
  • तिरुपति (8 जनवरी 2025):
    वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में ‘वैकुंठ द्वार दर्शनम’ के दौरान 6 लोगों की मौत हुई।
  • हाथरस (2 जुलाई 2024):
    सत्संग समारोह में मची भगदड़ में 100 से अधिक लोगों की मौत, जिनमें महिलाएं और बच्चे शामिल थे।
  • इंदौर (31 मार्च 2023):
    रामनवमी पर हवन के दौरान बावड़ी धंसने से 36 श्रद्धालुओं की मौत हुई।
  • वैष्णो देवी (1 जनवरी 2022):
    नववर्ष की भीड़ में भगदड़ से 12 श्रद्धालु मारे गए।
  • राजामंड्री (14 जुलाई 2015):
    ‘पुष्करम’ उत्सव के दौरान भगदड़ में 27 श्रद्धालु मारे गए।
  • दतिया (13 अक्टूबर 2013):
    रतनगढ़ मंदिर के पास अफवाह से मची भगदड़ में 115 लोगों की मौत।
  • हरिद्वार (8 नवंबर 2011):
    हर-की-पौड़ी घाट पर स्नान के दौरान भगदड़ में 20 श्रद्धालुओं की जान गई।
  • केरल (14 जनवरी 2011):
    सबरीमाला तीर्थ में कार भीड़ में घुसने से 104 भक्तों की मौत।
  • प्रतापगढ़ (4 मार्च 2010):
    मुफ्त भोजन और कपड़ों के वितरण में भगदड़ से 63 लोगों की मौत।
  • जोधपुर (30 सितंबर 2008):
    चामुंडा देवी मंदिर में बम की अफवाह से 250 श्रद्धालुओं की जान गई।
  • बिलासपुर (3 अगस्त 2008):
    नैना देवी मंदिर में चट्टान खिसकने की अफवाह से 162 लोगों की मौत।
  • सतारा (25 जनवरी 2005):
    मंधारदेवी मंदिर की सीढ़ियों पर फिसलने से भगदड़ में 340 लोगों की मौत।

बार-बार होने वाले ऐसे हादसे देश में भीड़ नियंत्रण और आपदा प्रबंधन व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा, प्रवेश और निकास मार्गों की व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, ताकि ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके।

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