जुबिली न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को केंद्र सरकार ने बड़ी बात कही है। केंद्र सरकार ने कहा कि उसने देशद्रोह कानून के प्रावधानों पर पुनर्विचार करने और जांच का फैसला लिया है।

सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार ने अपील करते हुए कहा कि इस मामले पर सुनवाई तब तक न की जाए जब तक सरकार जांच न कर ले।
शीर्ष अदालत में दाखिल किए गए हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि देशद्रोह पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124 A की वैधता की जांच और पुनर्विचार किया जाएगा।
अपने हलफनामे में केंद्र ने कहा है कि पीएम नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण में जब कि देश की आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं, इसलिए गुलामी के समय में बने देशद्रोह के कानून पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।
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हलफनामे में आगे कहा गया है, ‘ देशद्रोह कानून को लेकर जताई जाने वाली आपत्ति का केंद्र सरकार को जानकारी है। कई बार मानवाधिकार को लेकर भी सवाल उठाए जाते रहे हैं। हालांकि इसका उद्देश्य भारत की संप्रभुता और अखंडता को अक्षुण्य रखना होना चाहिए।’
हलफनामे में आगे कहा गया है कि, अब वक्त आ गया है कि IPC की धारा 124 A के प्रावधानों पर पुनर्विचार किया जाए। केंद्र सरकार ने कहा कि जांच की प्रक्रिया के दौरान शीर्ष अदालत से अपील है कि वह इस कानून की वैधता की जांच करने में समय जाया न करे।
मालूम हो कि उच्चतम न्यायालय में कई याचिकाएं दाखिल करके औपनिवेशिक काल में बनाए गए कानूनों की जांच करने की बात कही गई थी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इसी का जवाब दाखिल किया है।
अदालत में सरकार ने देशद्रोह कानून का किया था बचाव
हालांकि इससे पहले केंद्र सरकार ने यह भी कहा था कि इस कानून की समीक्षा की जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि देशद्रोह कानून के खिलाफ दी गई अर्जियों को रद्द कर दिया जाए।
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मालूम हो कि देशद्रोह कानून के खिलाफ याचिका देने वालों में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा भी शामिल हैं।
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