जुबिली स्पेशल डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि यदि निर्वाचन आयोग (ECI) की कार्यप्रणाली में किसी तरह की अवैधता पाई जाती है तो बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को पूरी तरह रद्द किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि अदालत का फैसला केवल बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश पर लागू होगा।
अदालत ने मामले की अंतिम सुनवाई की तारीख 7 अक्टूबर तय की है। इससे पहले 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि बिहार में मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए आधार कार्ड को 12वें वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए। अदालत ने कहा कि भले ही आधार नागरिकता का सबूत नहीं है, लेकिन यह पहचान और निवास का वैध प्रमाण बना रहेगा।
65 लाख नाम हटाए जाने पर विवाद
निर्वाचन आयोग ने 18 अगस्त को बिहार का ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी किया था, जिसमें 65 लाख नाम हटाए गए दिखाए गए। विपक्ष का आरोप है कि यह कदम बिना उचित सत्यापन के उठाया गया, जिससे लाखों वास्तविक मतदाता प्रभावित हुए हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आयोग पर बीजेपी को फायदा पहुँचाने के लिए मतदाता सूची में हेरफेर का आरोप लगाया।
चुनाव आयोग की सफाई
ECI ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि राजनीतिक दल मतदाताओं को गुमराह कर रहे हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने राहुल गांधी को चेतावनी दी कि वे या तो आरोपों को साबित करने के लिए सबूत पेश करें या फिर सार्वजनिक तौर पर माफी मांगें।