जुबिली न्यूज डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने एक दुर्लभ फैसले में पुडुचेरी की नाबालिग लड़की को मां की जाति (आदि द्रविड़) के आधार पर अनुसूचित जाति (SC) प्रमाण पत्र जारी करने की मंजूरी दे दी। यह कदम उसकी पढ़ाई और भविष्य को ध्यान में रखते हुए उठाया गया।

क्या था मामला
लड़की की मां अनुसूचित जाति से हैं, जबकि पिता गैर-SC समुदाय से हैं। आमतौर पर जाति प्रमाण पत्र पिता की जाति के आधार पर दिया जाता है। महिला ने अपने तीन बच्चों के लिए SC सर्टिफिकेट की मांग की, क्योंकि शादी के बाद उनके पति ससुराल में रहे और बच्चे मां के साथ बड़े हुए।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
मुख्य न्यायाधीश CJI सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की बेंच ने मद्रास हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा कि मां की जाति के आधार पर सर्टिफिकेट देने में कानूनी सवाल खुला है, लेकिन बच्चे की शिक्षा और जीवन के शुरुआती अवसरों को ध्यान में रखते हुए इसे मंजूरी दी गई।
फैसले में यह भी कहा गया कि ऐसे बच्चे जिनके पिता उच्च जाति के हों, लेकिन मां SC समुदाय से हों और बच्चों ने वही वातावरण अनुभव किया हो, वे SC प्रमाण पत्र के हकदार हो सकते हैं।
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पिछले फैसलों में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बच्चे की जाति आम तौर पर पिता की जाति के आधार पर मानी जाती है। लेकिन 2012 के ‘रमेशभाई डभाई नाइका बनाम गुजरात’ फैसले में यह माना गया कि मां की जाति और बच्चों की परिस्थितियों को भी देखा जा सकता है, खासकर अंतर-जातीय विवाह में।
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