
डॉ. उत्कर्ष सिन्हा
अदम गोंडवी की एक गज़ल है – तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है
मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है।
कोरोना संकट से जूझती हुई जनता का गुस्सा आप इस एक शेर से समझ सकते हैं।
यूपी में कोरोना की रफ्तार हर दिन तेज होती जा रही है और हर रोज सरकार के बयान बहादुर अफसर नए नए आँकड़े ले कर आ रहे हैं। यूपी के हर जिले में एक नोडल अफसर मौजूद है मगर वो भी बदइंतजामी के किस्से रोक नहीं पा रहे।
सोशल मीडिया पर ऐसी खबरों की बाढ़ आ गई है जिसमे वक़्त पर एम्बुलेंस न पहुँचने की खब्रेन हैं, आक्सीजन की कमी से होने वाली मौत की खबरे हैं, और मरीजों के कोरंटीन सेंटर्स के खराब हाल के वीडिओज हैं।
ये सब कुछ खत्म नहीं हो रहा है, कहने को तो कोशिस कर ही रही है सरकार और पार्टी के लोग ये बताने में आगे हैं की हमने टेस्ट लैब की संख्या बढ़ा दी, 1 लाख बेड के इंतजाम है, मगर बात अब उससे आगे बढ़ चुकी है। अगर बेड है तो मरीजों को मिल क्यों नहीं रहे ? अगर स्वस्थ व्यवस्था प्राथमिकता में सबसे ऊपर है तो आक्सीजन की कमी क्यों हो रही है ? सूचना देने के बाद भी सीमओ आफिस 12 घंटे संज्ञान क्यों नहीं ले रहा ?
इस बीच अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास की तैयारियां जोरों पर हैं , एक तरफ शिलान्यास और दूसरी तरफ अस्पताल में मरीज .. ऐसा लगता है सरकार और मरीज दोनों पुकार रहे हैं .. “हमें बचा लो “राम”
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