अशोक कुमार
विश्वविद्यालयों के कुलपति विभिन्न परिस्थितियों में इस्तीफा देते हैं। यह एक जटिल मुद्दा है जिसके कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारण और परिस्थितियाँ इस प्रकार हैं
- इस्तीफे के प्रमुख कारण
- भ्रष्टाचार और अनियमितताएं
नियुक्तियों में गड़बड़ी, फर्जी डिग्रियां बेचना, वित्तीय अनियमितताएं और पद का दुरुपयोग ऐसे प्रमुख कारण हैं जिनके चलते कुलपतियों को इस्तीफा देना पड़ता है या उन्हें निलंबित किया जाता है।
अक्सर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो या अन्य जांच एजेंसियों की जांच के डर से भी इस्तीफा दिया जाता है। कई बार फर्जी कॉलेजों को लेकर मिली शिकायतों पर कार्रवाई न करने या मामलों को दबाने के आरोप भी लगते हैं।
सरकार या कुलाधिपति के साथ मतभेद/दबाव
कुलपतियों की नियुक्तियां अक्सर राजनीतिक होती हैं और सरकार बदलने पर नए सिरे से विवाद और विरोध शुरू हो सकते हैं।
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राजनीतिक दबाव या हस्तक्षेप से आहत होकर भी कुलपति इस्तीफा दे सकते हैं। कुलाधिपति (जो आमतौर पर राज्य के राज्यपाल होते हैं) विश्वविद्यालय की किसी भी कार्यवाही या आदेश को रद्द कर सकते हैं जो अधिनियम, परिनियम या अध्यादेशों के अनुरूप नहीं है, और ऐसे मामलों में भी कुलपति पर इस्तीफा देने का दबाव बन सकता है।
शैक्षणिक योग्यता में फर्जीवाड़ा/गलत जानकारी
कुछ मामलों में कुलपतियों पर अपनी शैक्षणिक योग्यता में फर्जीवाड़ा करने के आरोप लगते हैं, जिनकी जांच के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ता है।
छात्रों या शिक्षक संगठनों का विरोध/दबाव
छात्र संगठन या शिक्षक संघ अक्सर कुलपतियों के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं और उनकी नीतियों या प्रशासनिक कार्यों का विरोध करते हैं। इस दबाव के कारण भी कुलपति इस्तीफा दे सकते हैं। कई बार छात्र हितों की अनदेखी या उनकी
मांगों पर गंभीरता न दिखाने के आरोप लगते हैं। निजी या स्वास्थ्य संबंधी कारण
कुछ मामलों में कुलपति व्यक्तिगत या स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा देते हैं, भले ही उनका कार्यकाल अभी बचा हुआ हो।
कार्यकर्ताओं/सार्वजनिक दबाव
कई बार छात्र संगठनों के लगातार विरोध प्रदर्शन और दबाव के कारण भी कुलपति को इस्तीफा देना पड़ा है। कुछ मामलों में तो कुलपति ने गुस्से में या तत्काल दबाव में इस्तीफा दे दिया, हालांकि बाद में उसे वापस भी ले लिया।
यौन उत्पीड़न या कदाचार के आरोप: कुछ गंभीर मामलों में, यदि कुलपति पर यौन उत्पीड़न या अन्य कदाचार के आरोप लगते हैं और उनकी जांच चल रही होती है, तो वे इस्तीफा दे सकते हैं।
किन परिस्थितियों में इस्तीफा देते हैं
जांच समिति का गठन: जब किसी कुलपति के खिलाफ गंभीर आरोपों (जैसे भ्रष्टाचार, फर्जीवाड़ा) की जांच के लिए कोई समिति (राजभवन द्वारा गठित) बनाई जाती है और उसमें उन्हें दोषी पाया जाता है।
न्यायालयी मामले: जब कुलपति की नियुक्ति को लेकर या उनके कार्यकाल के दौरान किसी अनियमितता को लेकर उच्च न्यायालय या अन्य अदालतों में सुनवाई चल रही होती है।
प्रशासनिक कार्यों में असहयोग : कुलपति कई बार अधीनस्थ कर्मचारियों या अन्य हितधारकों से प्रशासनिक कार्यों में सहयोग न मिलने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे देते हैं।
सार्वजनिक विरोध और दबाव : जब विश्वविद्यालय परिसर में या बाहर छात्र संगठनों, शिक्षक संघों या राजनीतिक दलों द्वारा लगातार विरोध प्रदर्शन और आंदोलन किए जाते हैं।
सरकारी हस्तक्षेप: नई सरकार के आने के बाद या सरकार की नीतियों से तालमेल न बैठा पाने की स्थिति में भी कुलपति पर इस्तीफा देने का दबाव बन सकता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक मामले की अपनी विशिष्ट परिस्थितियाँ होती हैं, और कुलपति का इस्तीफा अक्सर कई अंतर्निहित मुद्दों का परिणाम होता है।
(पूर्व कुलपति कानपुर , गोरखपुर विश्वविद्यालय , विभागाध्यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर)