जुबिली न्यूज डेस्क
चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय में गड़बड़ियों का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है , ताजा मामला भ्रष्टाचार के आरोपों में हटाये गए एक लिपिक का है जिसने जोड़तोड़ कर के फिर से अर्थ नियंत्रक कार्यालय में अपनी तैनाती करवा ली .
वैसे भी मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीतियों की धज्जियां उड़ाने में इस विश्वविद्यालय का रिकार्ड काफी मजबूत रहा है.

फ़िलहाल चर्चा में आये इस मायावी बाबू का नाम अशोक कुमार है जो 15 सालों तक विश्वविद्यालय के अर्थ नियंत्रक कार्यालय में तैनात रहा और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में उसे तीन महीने पहले सीट से हटा दिया गया , इस बीच विश्वविद्यालय के कुलपति का चार्ज कानपूर के कमिश्नर को दे दिया गया, जिन्हें प्रकरण की जानकारी नहीं थी , आरोप है कि इस मौके का फायदा उठाते हुए मानिटरिंग और प्रशासन के निदेशक डा. नौशाद खान और कुलपति के तकनीकी सहायक के जरिये अशोक कुमार ने अपनी तैनाती फिर से अर्थ नियंत्रक कार्यालय में कराये जाने की संतुति मंडलायुक्त से करवा ली … जबकि अशोक कुमार इस पद पर नियमानुसार तैनात ही नहीं हो सकते क्यों की पद की आह्र्यता बी. काम. की डिग्री है जबकि इनके पास यह डिग्री ही नहीं है.
अब प्रश्न यही है कि क्या मंडलायुक्त महोदय इस प्रकरण की जांच करेंगे या फिर तमाम दूसरे मामलों की तरह यह भी दाखिल दफ्तर हो जायेगा ?
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