जुबिली स्पेशल डेस्क
महाराष्ट्र की राजनीति में एक ओर जहां ठाकरे बंधुओं की नज़दीकियों ने नया सियासी माहौल बना दिया है, वहीं दूसरी ओर राज ठाकरे ने अपने नेताओं को साफ निर्देश देकर चर्चाओं को फिलहाल विराम दे दिया है। उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के पदाधिकारियों से दो टूक कहा है कि शिवसेना (यूबीटी) से संभावित गठबंधन पर कोई भी बयान उनकी अनुमति के बिना न दिया जाए।
गठबंधन पर ‘नो कमेंट्स’ की हिदायत
सूत्रों के मुताबिक, राज ठाकरे ने संगठन के भीतर स्पष्ट आदेश जारी करते हुए कहा है कि जब तक वह खुद कोई घोषणा नहीं करते, तब तक कोई भी नेता या प्रवक्ता गठबंधन पर बात न करे। ये फैसला उन कयासों के बीच आया है जो वर्ली में हुए मराठी एकता समारोह के बाद से जोर पकड़ते जा रहे थे।
एक मंच, कई सवाल
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले NSCI डोम, वर्ली में आयोजित ‘मराठी जल्लोष मेळावा’ में राज और उद्धव ठाकरे 20 साल बाद एक मंच पर साथ नजर आए थे। इस दृश्य ने राजनीतिक हलकों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया था कि आने वाले निकाय चुनावों से पहले शिवसेना (यूबीटी) और मनसे हाथ मिला सकते हैं।
राज ठाकरे की चुप्पी – रणनीति या संकेत?
राज ठाकरे का यह आदेश अब नए कयासों को जन्म दे रहा है। क्या ये चुप्पी किसी गहरे राजनीतिक समीकरण की तैयारी है या फिर दोनों दलों की एकता महज मराठी अस्मिता तक सीमित रहेगी?
फिलहाल इतना तय है कि मनसे और शिवसेना के संभावित गठबंधन पर अभी तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हुई है, लेकिन सियासी हलचलें रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।
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