जुबिली न्यूज डेस्क
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के विदेश दौरे से लौटते ही पार्टी के सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा हो गया है। साल 2025 के अंत में यूरोप दौरे को लेकर जहां सत्ता पक्ष पहले से हमलावर है, वहीं अब 2026 के अहम चुनावों से पहले कांग्रेस आलाकमान को कई बड़े और कठिन फैसले लेने होंगे।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक अगर राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व ने समय रहते इन मुद्दों का समाधान नहीं किया, तो आने वाले चुनावों में कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
2026 से पहले राहुल गांधी के सामने 11 बड़े फैसले
1. शशि थरूर का भविष्य
कांग्रेस नेता शशि थरूर राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात कर अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर स्थिति साफ करना चाहते हैं। केरल में गुटबाजी पहले ही कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचा चुकी है, जहां लेफ्ट ने सत्ता बरकरार रखी। ऐसे में यह मसला आलाकमान के लिए बेहद संवेदनशील है।
2. कर्नाटक में मुख्यमंत्री विवाद
कांग्रेस शासित सबसे बड़े राज्य कर्नाटक में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान अब भी जारी है। यह विवाद पार्टी की स्थिरता के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।
3. जाति कार्ड की विफलता
बिहार में राहुल गांधी की जाति आधारित राजनीति पूरी तरह धराशायी हो गई। दलित अध्यक्ष बनाए जाने और आरजेडी से गठबंधन के बावजूद कांग्रेस को कोई फायदा नहीं मिला।
4. महाराष्ट्र में नेतृत्व का प्रयोग फेल
महाराष्ट्र में पुराने नेताओं को किनारे कर हर्षवर्धन सपकाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन राज्य में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा।
5. मनरेगा मुद्दा
मोदी सरकार द्वारा मनरेगा का नाम बदलने और महात्मा गांधी का नाम हटाने के मुद्दे को कांग्रेस अब तक जन आंदोलन नहीं बना पाई है। इसे जनता से जोड़ना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है।
6. वोट चोरी का नैरेटिव
राहुल गांधी ने बिहार में वोट चोरी के मुद्दे पर यात्रा निकाली और दिल्ली में बड़ी रैली की, लेकिन यह मुद्दा जनता के बीच असरदार साबित नहीं हो पाया। इसे राष्ट्रीय मुद्दा बनाना कांग्रेस के लिए कठिन साबित हो रहा है।
7. यूपी में सीटों का बंटवारा
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ सीट शेयरिंग कांग्रेस के लिए सिरदर्द बनी हुई है। 2017 की तर्ज पर 100 से ज्यादा सीटों की मांग फिलहाल सपा को मंजूर नहीं है।
8. बंगाल चुनाव और ममता फैक्टर
2026 के बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस असमंजस में है।
-
प्रदेश इकाई अकेले लड़ने के पक्ष में
-
अधीर रंजन चौधरी लेफ्ट से गठबंधन चाहते हैं
-
टीएमसी साफ कर चुकी है कि विधानसभा में कांग्रेस की जरूरत नहीं
अंतिम फैसला ममता बनर्जी की शर्तों पर ही संभव दिखता है।
9. हरियाणा की अंदरूनी कलह
हरियाणा में कांग्रेस हुड्डा परिवार के इर्द-गिर्द सिमटती नजर आ रही है। लगातार चुनावी हार के बावजूद भूपेंद्र हुड्डा विधायक दल के नेता बने, जिससे पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ गया है।
10. पंजाब में सत्ता वापसी की उलझन
पंजाब में प्रभारी सचिव और प्रदेश अध्यक्ष विवाद के बाद अब नवजोत सिंह सिद्धू फैक्टर पार्टी के लिए परेशानी बना हुआ है। सिद्धू की चुप्पी कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा डर है।
11. असम में कमजोर पकड़
असम में कांग्रेस ने गौरव गोगोई को कमान सौंपी है, लेकिन
-
बदरुद्दीन अजमल से दूरी
-
ओवैसी-अजमल गठबंधन की अटकलें
-
हिमंता बिस्वा शर्मा की आक्रामक राजनीति
कांग्रेस की रणनीति को कमजोर कर रही हैं।
ये भी पढ़ें-भारत के राफेल पर नजर! चीन ने वॉर गेम में बनाया ‘थ्रेट मॉडल’
जहां बीजेपी एक चुनाव खत्म होते ही अगले चुनाव की तैयारी में जुट जाती है, वहीं कांग्रेस अब भी अंदरूनी कलह, देरी से फैसले और रणनीतिक जिद में उलझी नजर आ रही है।
अगर राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व ने समय रहते इन 11 मुद्दों पर ठोस फैसले नहीं लिए, तो 2026 के चुनाव कांग्रेस के लिए और ज्यादा मुश्किल साबित हो सकते हैं।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
