जुबिली न्यूज डेस्क
पटना। भाजपा नेता नितिन नवीन को शुभकामनाएं देने की होड़ के बीच पार्टी के भीतर और राजनीतिक गलियारों में एक अहम सवाल उठ रहा है। सवाल यह है कि भारतीय जनता पार्टी के संविधान में कार्यकारी अध्यक्ष (Working President/Executive President) जैसा कोई पद है ही नहीं, तो फिर नितिन नवीन को इस पद पर कैसे नियुक्त किया जा सकता है?

पार्टी संविधान के जानकारों का कहना है कि भाजपा संगठनात्मक ढांचे में राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रदेश अध्यक्ष और विभिन्न मोर्चों व प्रकोष्ठों के पदों का स्पष्ट उल्लेख है, लेकिन कार्यकारी अध्यक्ष के पद का कोई औपचारिक प्रावधान नहीं है। ऐसे में नितिन नवीन की नियुक्ति को लेकर संवैधानिक और प्रक्रियागत सवाल खड़े हो रहे हैं।
संसदीय बोर्ड के फैसले पर भी सवाल
बताया जा रहा है कि नितिन नवीन की नियुक्ति का निर्णय पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक में लिया गया। हालांकि, यह बैठक कब और कहां हुई, इस बारे में पार्टी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। न तो बैठक की तारीख बताई गई है और न ही इसका स्थान।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि संसदीय बोर्ड ने वास्तव में ऐसा कोई फैसला लिया है, तो उसकी औपचारिक सूचना और प्रक्रिया सार्वजनिक की जानी चाहिए, ताकि किसी तरह का भ्रम या विवाद न बने।
पार्टी के भीतर भी उठ रही हैं आवाजें
सूत्रों के अनुसार, भाजपा के अंदरखाने में भी कुछ नेता इस नियुक्ति को लेकर असहज महसूस कर रहे हैं। उनका कहना है कि संगठन में नए पद गढ़ना या संविधान से इतर नियुक्तियां करना पार्टी की स्थापित परंपराओं के खिलाफ है।
आधिकारिक बयान का इंतजार
फिलहाल भाजपा की ओर से न तो पार्टी संविधान के संदर्भ में कोई स्पष्ट जवाब आया है और न ही संसदीय बोर्ड की बैठक को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी किया गया है। ऐसे में नितिन नवीन की नियुक्ति पर उठे सवाल और तेज हो गए हैं।
ये भी पढ़ें-मणिपुर में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता, 6 जिलों में संयुक्त अभियान में 14 उग्रवादी गिरफ्तार
अब देखना यह होगा कि भाजपा नेतृत्व इन संवैधानिक सवालों पर क्या सफाई देता है और क्या इस नियुक्ति को लेकर कोई औपचारिक अधिसूचना या स्पष्टीकरण सामने आता है।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
