जुबिली स्पेशल डेस्क
रामपुर से लेकर लखनऊ तक आजम खान की राजनीतिक भूमिका को लेकर चर्चाएं तेज हैं। जेल से बाहर आने के बाद उनके अगले कदम को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि आजम खान न तो इस समय सांसद हैं और न ही विधायक, लेकिन पश्चिमी यूपी की राजनीति में उनका असर आज भी कम नहीं हुआ है।
कहा जा रहा था कि आजम खान बसपा का रुख कर सकते हैं, लेकिन राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ऐसा होना मुश्किल है।
वजह साफ है बसपा खुद उत्तर प्रदेश में सियासी जमीन तलाश रही है और आजम जैसी शख्सियत किसी ऐसी पार्टी से जुड़ना नहीं चाहेंगी जो मजबूत स्थिति में न हो। सपा में आजम की अहमियत हमेशा से रही है। वह लंबे समय तक पार्टी का मुस्लिम चेहरा माने जाते रहे हैं। रामपुर समेत आसपास के जिलों में उनकी पकड़ मज़बूत है। यही वजह है कि अखिलेश यादव आज भी उन्हें पार्टी के लिए अहम मानते हैं। अखिलेश और आजम का रिश्ता उतार-चढ़ाव भरा जरूर रहा है, लेकिन दोनों के बीच दूरी इतनी गहरी नहीं मानी जाती कि आजम पार्टी छोड़ दें।
हाल ही में जब आजम के बसपा से जुड़ने की अटकलें उठीं तो अखिलेश यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसे मजाकिया अंदाज में टाल दिया।
इसके बाद सपा ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें अखिलेश और आजम खान साथ नजर आए। इस कदम से संदेश साफ था कि सपा आजम को लेकर गंभीर है और उन्हें पार्टी से जोड़कर रखना चाहती है।
अखिलेश यादव पहले ही कह चुके हैं कि उनकी सरकार बनने पर आजम खान के खिलाफ दर्ज मुकदमों की समीक्षा होगी और अन्यायपूर्ण मामलों को वापस लिया जाएगा।
उन्होंने आरोप लगाया था कि आजम को साजिशन निशाना बनाया गया और धर्म के आधार पर उनके साथ भेदभाव हुआ।
इन तमाम संकेतों से साफ है कि आजम खान का अगला सियासी ठिकाना बदलने वाला नहीं है। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि सपा और यादव परिवार से उनके रिश्ते मजबूत हैं और यही उन्हें अखिलेश के साथ बनाए रखेगा।