Saturday - 6 January 2024 - 10:19 PM

बीजेपी नेताओं ने की थी पुलिस की पिटाई, अब पुलिसकर्मी ही हुए निलंबित

जुबली न्यूज़ डेस्क

उत्तर प्रदेश में पुलिसकर्मियों पर हमले और उनके साथ बदसलूकी के मामले में बड़ी तेजी से उछाल आया है। कानपुर कांड का आरोपी अभी तक पुलिस की पकड़ से दूर है इसी बीच अन्य शहरों से भी कई ऐसे मामले सामने आये हैं जिसमे पुलिस के इक़बाल को लेकर सोचने पर मजबूर कर दिया है।

सोशल मीडिया पर सरकार और पुलिस के बड़े अधिकारियों को लेकर बहस छिड़ी हुई है। लोगों का मानना है कि अपराधियों के बुलंद हौसलों के लिए बड़े अधिकारी और नेता जिम्मेदार हैं।

इसी बीच एक और मामले में हुई कार्रवाई ने सबको चौंका दिया है। ये मामला है वाराणसी के बीजेपी नेताओं और पुलिस की झड़प का।

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के सुंदरपुर इलाके में तीन जुलाई की देर रात भाजपा नेता और पुलिसवालों के बीच लॉकडाउन के नियम पालन न करने को लेकर मारपीट के मामले में पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है। जांच में प्रथमदृष्टया दोषी पाये जाने के बाद थाना प्रभारी लंका अश्वनी चतुर्वेदी, सुंदरपुर सुनील गौड़ व राजू और दो सिपाही को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही सीओ भेलूपुर प्रीति त्रिपाठी को सर्किल से हटाकर पुलिस आफिस से सम्बद्ध कर दिया गया है।

इससे पहले इस मामले को लेकर लंका थाना में नामजद और अज्ञात लोगों के खिलाफ मारपीट, बवाल, जानलेवा हमला, लूट और सरकारी कार्यों में बाधा डालने सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। सुरेंद्र पटेल और एक अन्य व्यक्ति को दबिश देकर गिरफ्तार किया गया था और अन्य 5-6 लोगों की तलाश जारी थी।

इसके बाद जिले के वरिष्ठ अधिकारियों ने पूरे मामले की मैजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए थे। सर्किट हाउस में भाजपा के बड़े नेताओं ओर जिला-पुलिस प्रशासन के अफसरों के बीच इस पूरे मामले को लेकर लंबी बैठक भी चली।

भाजपा नेताओं ने अधिकारियों से पूछा कि जब मामला केवल मास्क न पहनने को लेकर था तो जुर्माना लगाना चाहिए था, ना कि मारपीट की जानी चाहिए थी। इसके बाद अगर बीजेपी नेता सुरेंद्र पटेल के बेटे विकास पटेल ने पुलिसवालों से मारपीट की थी तो मारपीट के मामले में मुकदमा दर्ज होना चाहिए था, न कि गंभीर अपराध जैसे हत्या का प्रयास, लूट आदि धाराओं में किया गया है।

इसके बाद बीजेपी काशी क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश चंद्र श्रीवास्तव और प्रदेश बीजेपी के सह प्रभारी सुनील ओझा के अनुरोध पर जिला प्रशासन ने पूरे मामले में एडीएम फाइनेंस के नेतृत्व में मैजिस्ट्रियल जांच गठित कर दी। वहीं एडीजे प्रथम की कोर्ट ने बीजेपी नेता और अधिवक्ता सहित चार लोगों की गिरफ्तारी पर सुनवाई करते हुए पुलिस को गंभीर धाराओं को हटाने का निर्देश दिया और चारों को जमानत दे दी।

बता दें कि इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने भी ट्वीट कर योगी सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने लिखा था कि, योगी जी के राज में पुलिस ही सुरक्षित नही तो जनता का क्या हाल होगा? ये बीजेपी के नेता हैं PM मोदी जी के वाराणसी में पुलिस वालों से मारपीट कर रहे हैं।

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