जुबिली स्पेशल डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी गलियारे में एक बड़ी खबर सामने आई है। जनसुराज प्रमुख प्रशांत किशोर (PK) संभवतः राघोपुर सीट से चुनाव मैदान में उतर सकते हैं।
पार्टी ने इस सीट पर तैयारी शुरू कर दी है और शनिवार, 11 अक्टूबर, को प्रशांत किशोर राघोपुर में कार्यकर्ताओं के साथ संवाद करेंगे। इसके बाद उनकी उम्मीदवारी की औपचारिक घोषणा हो सकती है। राघोपुर सीट से वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव विधायक हैं।
प्रशांत किशोर क्यों लड़ सकते हैं राघोपुर से?
लालू परिवार का गढ़: राघोपुर को लंबे समय से लालू परिवार का गढ़ माना जाता है। यहां से लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव विधायक बन चुके हैं। तेजस्वी यादव इस सीट से विपक्षी गठबंधन के सीएम फेस भी हैं।
ममता मॉडल की तर्ज पर रणनीति: पीके इस सीट पर सीधी लड़ाई के जरिए तेजस्वी यादव को चुनौती देना चाहते हैं। 2021 में पश्चिम बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी ने शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ मैदान में उतरकर रणनीति बनाई थी, पीके उसी मॉडल को राघोपुर में अपनाने की योजना बना रहे हैं।
जातीय समीकरण: राघोपुर में यादव आबादी 32%, राजपूत 19%, पासवान 6%, ब्राह्मण 3% और अन्य जातियाँ 28% हैं। पीके का मकसद यादव वर्सेज ऑल समीकरण के तहत जोड़-तोड़ करके जीत सुनिश्चित करना है।

चुनाव लड़ना पीके के लिए मजबूरी
प्रशांत किशोर हमेशा यह मानते रहे हैं कि राजनीति में सक्रिय होने वाले नेताओं के लिए चुनाव लड़ना जरूरी है। 2020 में नीतीश कुमार के चुनाव न लड़ने पर भी उन्होंने टिप्पणी की थी। अगर पीके खुद चुनाव नहीं लड़ते हैं, तो जनसुराज और उनके खिलाफ सवाल उठ सकते हैं। इसलिए राघोपुर से चुनाव लड़ना उनके लिए रणनीतिक और सियासी दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
राघोपुर सीट का सियासी समीकरण
राघोपुर सीट वैशाली जिले में स्थित है और इसे कभी-कभी यादव लैंड भी कहा जाता है। 1980 के बाद से यह सीट लगातार यादव नेताओं के कब्जे में रही है। 1995 से 2010 तक यह लालू परिवार का मजबूत गढ़ रहा। यहाँ से जीतकर लालू यादव और राबड़ी देवी बिहार के मुख्यमंत्री, जबकि तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने।
राघोपुर सीट की हाई-प्रोफाइल सियासत और जातीय समीकरण इस चुनाव को बेहद रोचक बनाने वाला है। प्रशांत किशोर की एंट्री से यह सीट बिहार चुनाव की मुख्य टक्कर बन सकती है।
Jubilee Post | जुबिली पोस्ट News & Information Portal
