रजनीश पाण्डेय

ऊपर वाली इंट्रो लाईन बताने के लिए काफी है की बाकी पोस्ट की कहानी क्या है? चलिए उसकी भी चर्चा कर देते है..। लेकिन शर्त के साथ ना मंत्री की नाम की चर्चा होगी ना ही जगह की…अब बाते विस्तार से…….।
अपने यूपी में भी उपचुनाव की तैयारी जोर शोर से चल रही है…। सरकारी पार्टी चुनाव जीतने के लिए कोई कसर नही छोड़ना चाह रही है, उसके लिये जिले में चुनाव प्रभारी और सहप्रभारीयों की नियुक्ति की गयी है। उसी एक जिले की कहानी है जहां उपचुनाव हो रहा है..चुनाव के प्रभारी मंत्री जिले के कार्यकर्ताओ के साथ बैठक किये, जो चुनाव के समय स्पेशली होता रहा है…।
मंत्री जो सरकार की उपलब्धि लगातार बखान कर रहे थे… समापन के समय अपने अंदाज में कार्यकर्ताओं के तरफ मुखातिब होकर बोले अगर किसी कार्यकर्ता को परेशानी हो तो बेझिझक होकर बोल सकता है…। कार्यकर्ताओ के बीच से कोई आवाज नही आयी… फिर मंत्री जी जोश में बोले …तो क्या माना जाय ? किसी को सरकार से या यहां के जनप्रतिनिधियों से शिकायत नही है।
कोई बात नही हमको गलत फीडिंग दिया गया था… कि जहां के आप चुनाव प्रभारी बनाये गए है वहां के मूल कार्यकर्ता पार्टी से नाराज चल रहे है…यह कह कर प्रभारी मंत्री जैसे ही बैठने वाले थे…उसी बैठक में से एक कार्यकर्ता हाथ जोड़कर खड़ा हुआ…और बोला मंत्री जी जो आपको लखनऊ में जो फीडबैक दिया गया है वो एक दम सही है…। लेकिन हम लोग करे तो क्या करे..?
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प्रभारी मंत्री जी, उस जिले के जनप्रतिनिधियों के चेहरा देखने लगे…. खैर प्रभारी मंत्री जी ने माइक संभाला और बोले …कहिए क्या दिक्कत है ? अदना सा कार्यकर्ता बोला मंत्री जी यह दिक्कत केवल हमारा व्यक्तिगत दिक्कत नहीं है. यह लगभग सारे कार्यकर्ताओं का दिक्कत है, हम लोगों की दशा महाभारत के द्रोपदी जैसा हो गया है, जैसे उनका चीरहरण हुआ था. वैसा ही गाहे-बगाहे हम लोगों का भी चीरहरण होता है बस मन में यह डर जरूर होता है की अगला नंबर किसका आएगा ?
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अभी आपके बैठक से निकल कर घर जाएंगे तो किस थाने पर दरोगा हमारे मोटरसाइकिल का दो हजार का चालान कर देगा, यह पता नहीं। हम लाख बताते रह जाएंगे कि हम पार्टी के मूल वर्कर है और मंत्री जी के साथ मीटिंग करके आ रहे हैं लेकिन उस बेअन्दाज दरोगा पर कोई असर नही पड़ेगा…..।
वह कार्यकर्ता यहीं नहीं रुका ….शिकायती अंदाज में बोला…. दरोगा बोलता है…फलाने मंत्री का आदमी हूँ… फलाने विधायक का आदमी हूँ कुछ बोलते है की मंदिर से आया हूँ…जो बाकी बचते है…वो बताते है…संघ से आया हूँ…मंत्री जी आप ही बता दीजिए…हम लोग किसके आदमी है…? हमलोग तो पार्टी के निशान को अपना निशान मानकर आज तक पार्टी में काम किये लेकिन उसके बदले क्या मिला ? आपसे छिपा नही है…। जैसे ही कार्यकर्ता ने अपनी बात खत्म की वैसे ही पूरा हाल बाकी कार्यकर्ताओं के ताली की तड़तड़ाहट से गूंज उठा।
उस वातानुकूलित हाल, जहां का तापमान 20 डिग्री सेल्सियस था….प्रभारी मंत्री जी के साथ-साथ मौजूद जनप्रतिनिधि पसीने से बेहाल हो गए….खैर प्रभारीमंत्री जी ने यह जरूर आश्वासन दिए आप के सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा और चुनाव बाद क्योंकि मजबूरी यह है कि, आचार संहिता लगी है लोगों की सूची बनाकर दीजिएगा उनका तबादला जरूर यहां से कराया जाएगा।
और हरेक बार की तरह इस बार भी कार्यकर्ता आश्वासन की घुट्टी पी कर चुनावी मैदान फतेह करने के लिए निकल गए….लेकिन एक सवाल भी छोड़ कर गए। आखिर वो किसके है ?
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(लेखक पत्रकार हैं, यह लेख उनकी फेसबुक वाल से लिया गया है)
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