Wednesday - 10 January 2024 - 8:05 AM

यह क्रिकेट का मैदान नहीं राजनीति की फिसलन भरी पिच है खान साहब !

Pakistan Political Crisis : इमरान खान ने PAK सेना प्रमुख जनरल बाजवा को बर्खास्त करने की कोशिश की, उलटा पड़ गया पासा- रिपोर्ट…

सैय्यद मोहम्मद अब्बास

‘आखिरी गेंद’, ‘धमकी भरा पत्र’, ‘अविश्वास प्रस्ताव‘ ये शब्द बीते कुछ दिनों से पाकिस्तान की सियासत में लगातार सुर्खियों में रहे हैं। दरअसल इमरान खान क्रिकेट की पिच पर हमेशा अपनी गेंदबाजी, कप्तानी और कभी हार नहीं मानने वाले खिलाड़ी के तौर पर याद किये जाते हैं।

लेकिन राजनीति की पिच पर इमरान पूरी तरह से गच्चा खा गए और उनको पावेलियन लौटना पड़ा वो भी बगैर खाता खोले। ‘लास्ट बॉल’ तक लडऩे का दावा करने वाले इमरान को नेशनल असेंबली में बुरी तरह हार झेलनी पड़ी है।

पाकिस्तान क्रिकेट के सबसे सफल कप्तानों से एक, इमरान खान ने कभी सपने में भी सोचा नहीं था उनको राजनीतिक जीवन में इस तरह की  स्थिति का सामना करना पड़ेगा।

क्रिकेट में संन्यास के बाद लौटे थे लेकिन…

इमरान ख़ान की विश्व क्रिकेट में अपनी अलग पहचान है लेकिन राजनीति में सालों मेहनत के बाद यहां तक पहुंचे हैं। वहीं क्रिकेट की बात की जाये तो उनका करियर साल 1987 में वर्ल्ड कप के बाद ही खत्म हो गया था लेकिन पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल जिया-उल-हक़ के विशेष आग्रह पर उन्होंने दोबारा क्रिकेट के मैदान पर वापसी की है और पाकिस्तान को अपनी लीडरशिप से विश्व क्रिकेट में अलग पहचान दिलायी।

1992 के विश्व कप में एक कमजोर टीम को चैम्पियन बनाया 

इमरान के क्रिकेट जीवन की बात की जाये तो उन्होंने पाकिस्तान के लिए वो कर दिखाया था जो अब तक किसी कप्तान ने नहीं किया था। 1992 के विश्व कप में एक कमजोर टीम को चैम्पियन बनाया। अपनी शानदार कप्तानी और साथी खिलाडिय़ों के बेजोड़ प्रदर्शन की बदौलत उन्होंने ये करिश्मा किया था लेकिन राजनीतिक पिच पर इमरान खान कोई खास कमाल नहीं कर सके और तो और उनके पार्टी के सदस्य विरोधियों के खेमे में शामिल हो गए। इसका नतीजा यह रहा कि इमरान की टीम कमजोर पड़ गई और नम्बर गेम पिछड़ गई।

इमरान ख़ान ने जब अपनी पार्टी का गठन किया था तब उनको अंदाजा नहीं था कि क्रिकेट में 11 खिलाडिय़ों की कमान संभालना और एक राजनीतिक पार्टी की बागडौर संभालने में जमीन-आसमान का फर्क होता है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) में कई मौकों पर टूट देखने को मिली। अगर कहा जाये तो सत्ता से बेदखल होने में उनके सहयोगियों ने उनको धोखा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

1996 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ का किया था गठन

सफलता और असफलता के इस खेल में इमरान को मुंह की खानी पड़ी है। क्रिकेट में कप्तान अपनी पसंद की टीम को खिलाता है लेकिन राजनीति में ऐसा कुछ भी नहीं है। जहां फायदा होता वहां पर पाला बदलने में देर नहीं लगती है।

बाजवा को बर्खास्त करना चाहते थे इमरान खान

इमरान खान का अपनी सत्ता को मजबूत करने के चक्कर में विकेट गिरा है। पाकिस्तान की मीडिया रिपोर्ट्स बताती है कि इमरान खान ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा को बर्खास्त करना चाहते थे और इसके बाद से ही उनकी उल्टी गिनती शुरू हो गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि इमरान यह कदम उनके घातक साबित हुआ और असफलता हाथ लगी, क्योंकि रक्षा मंत्रालय ने इसे लेकर नोटिफिकेशन जारी नहीं किया।

इमरान का गिरा विकेट, शहबाज शरीफ होंगे नए PM

पाकिस्तान में शनिवार को देर रात चले सियासी ड्रामे का अंत हो गया है। इसके साथ इमरान खान का विकेट गिर गया और उनकी सरकार गिर गई है। इससे पहले कई घंटो तक सियासी ड्रामा देखने को मिला। पाकिस्तान समय के अनुसार शनिवार की रात रात 12 बजे कर संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई।

अविश्वास प्रस्ताव पर नाटकीय घटनाक्रम के बाद आखिरकार शनिवार रात 12:30 बजे मतदान शुरू हुआ। रात 1:29 बजे घोषित नतीजों में इसमें प्रस्ताव के पक्ष में 174 वोट पड़े।

प्रस्ताव के विपक्ष में कोई मत नहीं पड़ा क्योकि उनकी पार्टी के सभी सांसदों ने मतदान की कार्यवाही का बहिष्कार किया। इसके साथ ही पीएमएलएन के नेता शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया।

विपक्ष ने मुस्लिम लीग (एन) के नेता शाहबाज शरीफ को अपना नेता चुना है। इसके बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के नेता शाहबाज शरीफ को पाकिस्तान का नया पीएम बनाया गया है। बता दें कि शाहबाज शरीफ नवाज शरीफ के भाई है।

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