जुबिली स्पेशल डेस्क
शीतकालीन सत्र की शुरुआत होते ही संसद में हंगामा चरम पर पहुँच गया है। सोमवार को स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) के मुद्दे पर विपक्ष के विरोध के बीच लोकसभा दो बार स्थगित हुई और अंत में पूरे दिन के लिए सस्पेंड करनी पड़ी।
मंगलवार को भी स्थिति बदली नहीं—सदन शुरू होते ही कुछ मिनटों में फिर से हंगामा और नारेबाज़ी के कारण कामकाज ठप हो गया। विपक्ष SIR को ‘वोट चोरी का तरीका’ बता रहा है, जबकि सरकार चर्चा की मांग पर स्पष्ट समयसीमा देने से बच रही है। नतीजा—शीतकालीन सत्र भी मानसून सत्र की तरह गैर-उत्पादक होता दिख रहा है।
मानसून सत्र का हाल: काम कम, हंगामा ज्यादा
21 जुलाई से 21 अगस्त 2025 तक चला मानसून सत्र पूरे समय विपक्ष के विरोध और राजनीतिक तनाव में उलझा रहा। SIR, ऑपरेशन सिंदूर और स्पेस प्रोग्राम पर बहस की मांग ने सदन का बड़ा हिस्सा ठप रखा।
कुल कामकाज (21 दिन)
लोकसभा: 37.1 घंटे
राज्यसभा: 49.9 घंटे
प्रश्नकाल
लोकसभा: 4.7 घंटे
राज्यसभा: 1.2 घंटे
विधायी कार्य
लोकसभा: 2.9 घंटे
राज्यसभा: 13.4 घंटे
अन्य कार्य:
लोकसभा: 4.7 घंटे
राज्यसभा: 9 घंटे
गैर-विधायी कार्य:
लोकसभा: 24.6 घंटे
राज्यसभा: 18.3 घंटे
उत्पादकता:
लोकसभा: 29%
राज्यसभा: 34%
कितना समय बर्बाद हुआ?
21 दिनों में, 6 घंटे प्रतिदिन के हिसाब से कुल 126 घंटे काम होना चाहिए था।
लोकसभा:
126 – 37.1 = 88.9 घंटे बर्बाद
राज्यसभा:
126 – 49.9 = 76.1 घंटे बर्बाद
कितना पैसा डूबा?
पूर्व संसदीय कार्य मंत्री पवन बंसल के 2012 के बयान के अनुसार:
लोकसभा चलाने का खर्च: 2.5 लाख रुपये/मिनट (यानी 1.5 करोड़ रुपये/घंटा)
राज्यसभा चलाने का खर्च: 1.25 लाख रुपये/मिनट (यानी 75 लाख रुपये/घंटा)
इस हिसाब से—
लोकसभा में नुकसान: 133.35 करोड़ रुपये
राज्यसभा में नुकसान: 57 करोड़ रुपये
कुल नुकसान: 190.42 करोड़ रुपये
यह वही पैसा है जो जनता के टैक्स से आता है—और हंगामे में ज़ाया हो रहा है।
शीतकालीन सत्र: दो ही दिनों में घमासान
सोमवार, 1 दिसंबर
श्रद्धांजलि के बाद SIR पर विपक्ष का विरोध
दोपहर बाद फिर हंगामा, 2:12 बजे सदन स्थगित
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मणिपुर GST (दूसरा संशोधन) बिल, 2025 पेश किया, जो पास भी हुआ
राज्यसभा में विपक्ष ने वॉकआउट किया और दिन भर कामकाज बाधित रहा
मंगलवार, 2 दिसंबर
सुबह 11 बजे लोकसभा शुरू हुई लेकिन कुछ मिनटों में ‘वोट चोरी’ के नारे लगे
सदन फिर स्थगित
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा—“SIR पर चर्चा पर विचार चल रहा है, लेकिन समय सीमा मत तय करें”
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