अशोक कुमार
‘नॉन-वेज दूध’ (Non-veg Milk) एक ऐसा शब्द है, जो उन गायों या अन्य दुधारू पशुओं के दूध के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हें खाने में मांसाहारी सामग्री दी जाती है। यह मुद्दा हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौतों के दौरान चर्चा में आया था।
नॉन-वेज दूध क्या है?
भारत में, गायों को शाकाहारी माना जाता है और उनके दूध को शुद्ध और सात्विक आहार के रूप में देखा जाता है। लेकिन अमेरिका और कुछ अन्य पश्चिमी देशों में, डेयरी गायों को अधिक दूध उत्पादन और वजन बढ़ाने के लिए खास तरह का चारा दिया जाता है। इस चारे को ‘ब्लड मील’ या ‘रेंडर्ड फीड’ कहते हैं, जिसमें जानवरों के खून, मांस और हड्डियों का चूरा मिला होता है।
चूंकि इस प्रक्रिया में गायों को मांसाहारी आहार खिलाया जाता है, इसलिए उनके दूध को भारत में ‘नॉन-वेज दूध’ कहा गया है। यह दूध उन मांसाहारी जानवरों जैसे शेरनी या बिल्ली के दूध से अलग है, जिनकी दूध की संरचना पूरी तरह से मांसाहार पर आधारित होती है।
भारत में इसका विरोध क्यों हुआ?
भारत ने अमेरिका से ऐसे दूध और डेयरी उत्पादों का आयात करने से इनकार कर दिया है, जो मांसाहारी चारे पर पली गायों से प्राप्त होते हैं। इस विरोध के मुख्य कारण हैं:
धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाएं: भारत में गाय को ‘गौ माता’ माना जाता है और दूध का उपयोग पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में होता है। ऐसे में, मांसाहारी आहार पर पली गायों के दूध को स्वीकार करना सांस्कृतिक मान्यताओं के खिलाफ माना गया।
नैतिक कारण: कई लोग इसे जानवरों के प्रति क्रूरता और प्रकृति के नियम के विरुद्ध मानते हैं।
स्वच्छता और शुद्धता: भारत सरकार और खाद्य सुरक्षा नियामक, फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI), ने दूध की शुद्धता और शाकाहारियों के हितों की रक्षा के लिए इस मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया है।
FSSAI के नियमों के अनुसार, भारत में बेचे जाने वाले सभी खाद्य उत्पादों पर स्पष्ट रूप से “शाकाहारी” (हरा निशान) या “मांसाहारी” (भूरा निशान) का लेबल होना अनिवार्य है। भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह ऐसे दूध को “शाकाहारी” के रूप में नहीं मानती है और इसे आयात करने की अनुमति नहीं देगी।