जुबिली पोस्ट डेस्क
नई दिल्ली। दिवालिया होने के कगार पर पहुंची जेट एयरवेज के जरिए अपनी गर्मियों की छुट्टियों के लिए टिकट बुक कराने वाले हजारों यात्री परेशान हैं। उन्हें अपने प्लान बर्बाद होने का डर तो है कि साथ ही उन्हें अपने पैसे बर्बाद होने का डर भी सता रहा है। जेट एयरवेज ने अप्रैल के अंत तक 13 और अंतरराष्ट्रीय रूटों पर विमान सेवा स्थगित कर दी है।

एयरलाइंस सूत्रों के अनुसार इसके अलावा सात अन्य विदेशी रूट पर उड़ानों की संख्या घटा दी है। एयरलाइन रोजाना बड़ी संख्या में फ्लाइट कैंसल कर रहा है। वहीं टिकट कैंसल कराने पर यात्रियों को भारी कैंसलेशन फीस देनी पड़ रही है।
जेट एयरवेज की प्रति महीने सीटों की संख्या के अनुमानित आंकड़े से पता चलता है कि फरवरी महीने में घरेलू उड़ानों की कुल सीटें 13 लाख घटकर 1 करोड़ 34 लाख रह गईं हैं। जबकि ये संख्या जनवरी महीने में 1 करोड़ 47 लाख थी। इसका कारण जेट एयरवेज के कई विमानों का उड़ान नहीं भरना है।
सरकार ने जेट को किसी भी जुर्माने के बिना कितनी भी संख्या में उड़ान कैंसल करने की अनुमति दी हुई है। लेकिन अगर कोई यात्री टिकट कैंसल कराता है तो उसे इकॉनमी क्लास के टिकट के लिए कैंसलेशन फीस 4,600 रुपये तक देनी पड़ सकती है।

जेट ने बीते महीने ही अपनी कैंसलेशन फीस बढ़ा दी थी। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि अधिकतर यात्रियों को आखिरी 72 घंटे पहले तक ये नहीं बताया जाता कि उनकी फ्लाइट चालू रहेगी या कैंसल होगी। कानूनी रूप से अगर एक बार जेट टिकट कैंसल कर देता है तो उसे टिकट का किराया वापस देना होगा।
वहीं जो लोग बीते महीने कम कीमत में टिकट बुक करा चुके हैं, उन्हें भी दूसरी एयरलाइन से भारी कीमत में टिकट बुक करानी पड़ रही है। अगर यात्री समय रहते कहीं और अपनी टिकट बुक करा रहे हैं ताकि बाद में महंगी कीमत में टिकट ना लेनी पड़े, तो उन्हें भी टिकट कैंसल कराने में भारी कैंसलेशन फीस देनी पड़ रही है। ये कैंसलेशन फीस लगभग पूरी टिकट के ही बराबर है।
एयर पैसेंजर असोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष सुधाकर रेड्डी का कहना है कि जेट को वॉल्यूंटरी की कैंसलेशन फीस नहीं लेनी चाहिए। क्योंकि उसके पास कोई फ्लाइट शेड्यूल डिसिप्लिन नहीं है। यात्रियों को कोई परेशानी ना हो इसके लिए डीजीसीए और सिविल एविएशन कुछ नहीं कर रहे हैं।
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