जुबिली स्पेशल डेस्क
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर चुनाव आयोग पर वोट चोरी के गंभीर आरोप लगाए थे।
अब इस पर चुनाव आयोग ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने राहुल के आरोपों को “पुरानी बोतल में नई शराब” बताते हुए कहा कि यह वही बात है जो साल 2018 में मध्य प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष कमलनाथ ने भी दोहराई थी।
आयोग के अनुसार, 2018 में कमलनाथ ने एक निजी वेबसाइट से दस्तावेज़ लेकर सुप्रीम कोर्ट में पेश किए थे, जिसमें दावा किया गया था कि मतदाता सूची में 36 मतदाताओं के चेहरे दोहराए गए हैं।
जबकि वास्तविकता यह थी कि यह त्रुटि चार महीने पहले ही सुधार दी गई थी और उसकी संशोधित सूची पार्टी को उपलब्ध करा दी गई थी। कोर्ट ने भी कमलनाथ की याचिका को स्वीकार करने से मना कर दिया था।
2025 में फिर दोहराई गई पुरानी बात
चुनाव आयोग ने कहा कि राहुल गांधी भलीभांति जानते हैं कि यह मामला अदालत में टिक नहीं सकता, इसलिए अब वे मीडिया के माध्यम से मतदाता सूची में खामियों का दावा कर जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर, उन्होंने आदित्य श्रीवास्तव नामक मतदाता का जिक्र किया, जिनका नाम कथित तौर पर तीन अलग-अलग राज्यों में दर्ज था, जबकि यह त्रुटि भी महीनों पहले सुधार दी गई थी।
आरोप निराधार और सनसनी फैलाने की कोशिश
आयोग का कहना है कि बार-बार एक ही मुद्दा उठाना यह दर्शाता है कि राहुल गांधी को देश के सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का सम्मान नहीं है। कानून में नामांकन पत्र पर आपत्ति दर्ज करने और अपील करने की स्पष्ट प्रक्रिया है, लेकिन इन कानूनी रास्तों को अपनाने के बजाय उन्होंने मीडिया में निराधार आरोप लगाकर इस मुद्दे को सनसनीखेज बनाने की कोशिश की।
देश से माफी मांगने की सलाह
चुनाव आयोग ने कहा कि अगर राहुल गांधी को अपने विश्लेषण और आरोपों पर भरोसा है तो उन्हें कानून के तहत तय प्रक्रिया का पालन करना चाहिए और शपथपत्र पर हस्ताक्षर करने चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उन्हें देश के सामने चुनाव आयोग पर बेबुनियाद आरोप लगाने के लिए माफी मांगनी चाहिए।