Wednesday - 10 January 2024 - 6:37 AM

राफेल डील में नया खुलासा, बिचौलिए को घूस में दिए गए 65 करोड़

जुबिली न्यूज डेस्क

राफेल डील मामले में अब एक नया धमाका हुआ है। फ्रांस की एक ऑनलाइन पत्रिका ‘मीडियापार्ट’ ने एक नया दावा किया है।

पत्रिका ने फेक इनवॉयस पब्लिश कर दावा किया है कि राफेल बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने डील कराने के लिए भारतीय बिचौलिए सुशेन गुप्ता को करीब 65 करोड़ रुपए (क्7.5 मिलियन) की रिश्वत दी थी। इसकी जानकारी सीबीआई और ईडी को भी थी, लेकिन उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया।

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि दस्तावेजों के होने के बावजूद भारतीय एजेंसियों ने मामले को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया।

मालूम हो कि भारत ने फ्रांस से 59000 करोड़ रुपए में 36 राफेल विमान का सौदा किया था।

ऑनलाइन पत्रिका ‘मीडियापार्ट’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि, ‘इसमें ऑफशोर कंपनियां, संदिग्ध अनुबंध और फेक चालान शामिल हैं।

मीडियापार्ट यह खुलासा कर सकता है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सहयोगियों के पास अक्टूबर 2018 से सबूत हैं कि दसॉल्ट ने बिचौलिए सुशेन गुप्ता को कम से कम 65 करोड़ का सीक्रेट कमीशन भुगतान किया है।’

मीडियापार्ट के अनुसार, कथित फेक चालानों ने फ्रांसीसी विमान निर्माता दसॉल्ट एविएशन को भारत के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा सेक्योर करने में मदद करने के लिए सुशेन गुप्ता को सीक्रेट कमीशन कम से कम 7.5 मिलियन यूरो यानी करीब 65 करोड़ रुपए का भुगतान करने में सक्षम बनाया।

हालांकि, इन दस्तावेजों के मौजूद होने के बावजूद भारतीय एजेंसियों ने मामले में दिलचस्पी नहीं दिखाई और जांच शुरू नहीं की।

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वहीं 5 महीने पहले मीडियापार्ट ने बताया था कि राफेल सौदे में संदिग्ध ‘भ्रष्टाचार और पक्षपात’ की जांच के लिए एक फ्रांसीसी न्यायाधीश को नियुक्त किया गया था।

अप्रैल 2021 की एक रिपोर्ट में ऑनलाइन पत्रिका ने दावा किया कि उसके पास ऐसे दस्तावेज़ हैं, जिसमें दिखाया गया है कि दसॉल्ट और उसके औद्योगिक साझेदार थेल्स (एक रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स फर्म) ने बिचौलिए सुशेन को राफेल डील के संबंध में ‘सीक्रेट कमीशन’ में कई मिलियन यूरो का भुगतान किया था।

अप्रैल की रिपोर्ट की मानें तो अधिकांश भुगतान साल 2013 से पहले किए गए थे। सुशेन गुप्ता से जुड़े एक अकाउंट स्प्रेडशीट के अनुसार, ‘डी नाम की एक कंपनी (जो कि एक कोड है, जिसे वह नियमित रूप से दसॉल्ट के लिए उपयोग करता है) ने 2004-2013 की अवधि में सिंगापुर में शेल कंपनी इंटरदेव को 14.6 मिलियन यूरो (125.26 करोड़ रुपये) का भुगतान किया।

रिपोर्ट में कहा गया कि इंटरदेव एक शेल कंपनी थी, जो रियल एक्टिविटी में शामिल नहीं थी और इसे गुप्ता परिवार के लिए एक स्ट्रॉमैन (फेक कैंडिडेट) द्वारा चलाया जाता था।

मालूम हो कि शेल कंपनियां वे कम्पनियां होती हैं, जो प्राय: कागजों पर चलती हैं और पैसे का भौतिक लेनदेन नहीं करतीं।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि गुप्ता से संबंधित एक अन्य अकाउंट स्प्रैडशीट के मुताबिक, जिसमें केवल साल 2004 से 2008 के दौरान का लेखा-जोखा है, थेल्स ने दूसरी शेल कंपनी को  €2.4 मिलियन (करीब 20 करोड़) का भुगतान किया।

अप्रैल में ही फ्रांसीसी मीडिया प्रकाशन ‘मीडियापार्ट’ ने देश की भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी की जांच का हवाला देते हुए खबर प्रकाशित की थी कि राफेल के 50 रिप्लिका मॉडल तैयार करने के लिए ‘दसॉल्ट एविएशन ने भारतीय बिचौलिए गुप्ता को 1 मिलियन यूरो की रिश्वत दी थी।

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मोदी सरकार ने फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल जेट खरीदने के लिए 23 सितंबर, 2016 को 59,000 करोड़ रुपये के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

लोकसभा चुनाव 2019 से पहले कांग्रेस ने विमान की दरों और कथित भ्रष्टाचार सहित इस सौदे को लेकर कई सवाल खड़े किये थे, लेकिन सरकार ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। बता दें कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी गया था।

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