जुबिली न्यूज डेस्क
पाकिस्तान की पहले से खस्ताहाल अर्थव्यवस्था कोरोना काल में और खराब हो गई है। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए पाकिस्तान में डिजिटल भुगतान की एक नई प्रणाली की शुरुआत की गई है।
इससे पाकिस्तान को बहुत उम्मीदें हैें। अधिकारियों को उम्मीद है कि इस प्रणाली से देश की टैक्स वसूली दर में सुधार होगा और सरकार को अति-आवश्यक राजस्व की प्राप्ति होगी।

नई प्रणाली का नाम ‘रास्त’ रखा गया है, जिसका उर्दू में अर्थ होता है ‘सही रास्ता।’ अब यह प्रणाली पाकिस्तान को कितना सही रास्ता दिखायेगी यह तो आने वाला वक्त बतायेगा लेकिन पाकिस्तान में कर वसूली की दर दुनिया में सबसे कम दरों में से है।
फिलहाल देश के राजस्व अधिकारी उम्मीद कर रहे हैं कि यह नई व्यवस्था इस सूरत को बदलने में सहायक होगी।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बड़े पैमाने पर नकद लेन-देन पर आधारित है और डिजिटल भुगतान प्रणाली की वजह से अब यह लेन-देन के लिखित प्रमाण हासिल हो सकेंगे। पाकिस्तान में लगभग 40 प्रतिशत लेन-देन नकद माध्यम से होता है जब कि विकसित देशों में यह अनुपात एक अंक में ही रहता है।
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पाकिस्तान में जीडीपी मुकाबले टैक्स का अनुपात 10 प्रतिशत से भी कम है। इसकी वजह से पूर्व में देश को मजबूर हो कर या तो वैश्विक बैंकों से कर्ज या चीन और सऊदी अरब जैसे साझेदारों से मदद लेनी पड़ी है।

बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र और ब्रिटेन के सहयोग से डिजिटल भुगतान प्रणाली ‘रास्त’ को विकसित किया गया है।
पाक के केंद्रीय बैंक के प्रवक्ता आबिद कमर ने कहा कि यह प्रणाली “बहुत तेज और कम खर्च वाली” है। उन्होंने यह भी बताया कि देश में पहले से ही डिजिटल भुगतान और नकद हस्तांतरण की कुछ सेवाएं मौजूद हैं, लेकिन यह सरकार द्वारा शुरू की गई पहली सेवा है।
इस सेवा को लेकर सरकार के आगे के लक्ष्यों के बारे में कमर ने कहा, “हमारी योजना है कि भविष्य में सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन इसी माध्यम से दिए जाएं।”
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प्रवक्ता कमर ने कहा, “हमें उम्मीद है कि आगे चल कर हमें कर वसूली और राजस्व के दूसरे साधनों की वसूली में काफी सुधार होंगे.
वहीं अधिकारियों और जानकारों का कहना है कि अगर यह प्रणाली सफल हो गई तो इसकी मदद से राजस्व की वसूली पाक सरकार बढ़ा सकती है।
आर्थिक मामलों के जानकार सलीम रजा का कहना है कि प्रणाली से इस समय नकद में होने वाले खुदरा लेन-देन का 95 प्रतिशत आधिकारिक रिकॉर्डों में दर्ज किया जा सकता है और कर प्रणाली में लाया जा सकता है।
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