Sunday - 7 January 2024 - 2:02 PM

जरायम की दुनिया में बहुत आम है गवाहों की हत्या

शबाहत हुसैन विजेता

उन्नाव रेप पीड़िता के साथ रायबरेली में जो सड़क हादसा पेश आया है, वह आश्चर्य में डालने वाला हादसा नहीं लगता। ऐसे हादसे जरायम की दुनिया में बहुत आम हादसे हैं और इन हादसों के जरिये सबूतों को खत्म कर दिया जाता है और अपराधी अदालत से बाइज्जत बरी कर दिया जाता है।

बहुचर्चित कृष्णानन्द राय हत्याकाण्ड में किसी को भी सजा नहीं हो पाई क्योंकि इस हत्याकाण्ड के गवाह शशिकांत राय और मनोज गौड़ की हत्या कर दी गयी। इस हत्याकाण्ड में पूर्वांचल के माफिया सरगना मुख्तार अंसारी पर हत्या का आरोप लगा था। कृष्णानन्द राय की पत्नी ने हत्याकाण्ड के पर्दाफाश के लिये जीतोड़ कोशिश की लेकिन गवाहों की हत्या हो जाने से अदालत के सामने किसी को दोषी नहीं साबित किया जा सका।

लखनऊ के के.डी.सिंह बाबू स्टेडियम से खेलकर बाहर निकल रहे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सैय्यद मोदी की हत्या इतने बरस बाद भी कल की सी बात लगती है। इस हत्याकाण्ड में उत्तर प्रदेश की राजनीति की कद्दावर शख्सियत डॉ. संजय सिंह और सैय्यद मोदी की पत्नी अमिता मोदी का नाम सामने आया था। दोनों गिरफ्तार भी हुए और मुकदमा भी चला लेकिन एक के बाद एक गवाह और शूटरों की हत्या होती चली गयी और मोदी हत्याकांड में किसी को भी सजा नहीं मिल पाई।

आसाराम बापू मामले में अब तक तीन गवाहों की हत्या हो चुकी है। आसाराम बापू मामले में 9 गवाह थे। अदालत बापू को तभी दोषी ठहरा सकती है जबकि गवाह पूरी सच्चाई अदालत के सामने पेश करे। दिक्कत की बात यह है कि जब खुद गवाह ही अदालत तक नहीं पहुंच पा रहा है तो फिर बापू को दोषी कैसे ठहराया जा सकता है। धीरे-धीरे कोई गवाह ही नहीं रह जायेगा तब आसाराम बापू को सीखचों में कैद नहीं रखा जा सकेगा।

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आसाराम बापू के बेटे नारायण साईं पर दो सगी बहनों के साथ दुष्कर्म करने का आरोप है। नारायण साईं ने खुद को बरी कराने के लिये पुलिस को आठ करोड़ रुपये रिश्वत देने की कोशिश भी की लेकिन मामला हाईप्रोफाइल होने की वजह से बात बन नहीं पाई। राजकोट के आयुर्वेद चिकित्सक अमृत प्रजापति नारायण साईं मामले के प्रमुख गवाह थे लेकिन उनकी क्लिनिक के बाहर ही उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गयी। आसाराम बापू के रसोइये रहे अखिल गुप्ता की उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में गोली मारकर हत्या कर दी गयी।

सोहराबुद्दीन फर्जी इनकाउन्टर केस के सबसे अहम गवाह हरेन पण्डया की हत्या का मसला अभी बहुत पुराना नहीं है। सोहराबुद्दीन इनकाउन्टर मामले की वजह से खुद सरकार बैकफुट पर आ गयी थी लेकिन हरेन पण्डया की मौत के बाद इस काण्ड के दोषी फ्री बर्ड बन गये।

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मुजफ्फरनगर दंगे के गवाह की हत्या ने केस को कमजोर कर दिया। मेरठ के प्रधान नरेन्द्र सिंह की हत्या के मामले में उनकी पत्नी और बेटा ही गवाह थे। इन दोनों को कई बार धमकाया गया का इस मामले दूर हट जाओ। यह नहीं माने तो दोनों की सरेआम हत्या कर दी गयी। अब न गवाह बचे न पैरोकार.

मर्डर के एक मामले में मजबूत गवाही ने अम्बाला में चार लोगों को उम्रकैद की सजा दिलवा दी। सजा काट रहे यह लोग मई 2018 में जमानत पर जेल से बाहर आये और कार सवार गवाह को उसकी कार में ही छह गोलियां मारकर मौत के घाट उतार दिया। हत्यारों का मन इतने से भी नहीं भरा तो छह गोलियां लगे जिस्म पर चाकू से कई वार भी किये।

वर्ष 2014 में रांची के रेलवे स्टेशन पर दिनदहाड़े हत्या की वारदात अंजाम दी गयी थी। स्टेशन पर मौजूद सैकड़ों लोगों ने घटना को होते हुए देखा लेकिन हत्यारों की तरफ से लगातार मिल रही धमकियों की वजह से गवाह पांच साल से कोर्ट में गवाही देने नहीं गये। कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक से लेकर तमाम जांच एजेन्सियों को गवाहों को कोर्ट तक लाने का आदेश दिया लेकिन अपनी जान के डर से कोई भी गवाह कोर्ट जाने को तैयार नहीं है।

गवाहों की हत्याएं हो जाना अब बहुत आम बात हो चुकी है। गवाहों की सुरक्षा के लिये उन्हें गनर दिये जाने का नियम भी है। तमाम गवाहों को पुलिस की तरफ से सुरक्षा भी मुहैया कराई गई है लेकिन इसके बावजूद गवाहों की हत्याओं का सिलसिला लगातार जारी है। उन्नाव रेपकेस मामले में तो हत्याओं की सीरीज चल रही है। पीड़िता के पिता की हत्या के बाद उसकी चाची की सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी है। पीड़िता और उसके वकील लखनऊ के ट्रामा सेन्टर में जिन्दगी की जंग लड़ रहे हैं।

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