नवेद शिकोह
मां दुर्गा है, हमारा देश भारत हमारी मां है। मां के क़दमों के नीचे जन्नत है। मां ना होती तो शायद पवित्रता और शक्ति की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। मां का आर्शीवाद है तो जीवन सफल,सुखी और समृद्ध है। लोक-परलोक हर जगह मां की महिमा अपरंपार है।मां के आर्शीवाद में जितनी शक्ति है उसका श्राप उतना ही सर्वनाश करता है।
गांधारी का श्राप याद होगा। मां के श्राप ने तो भगवान कृष्ण तक को नहीं बख्शा था तो सियासी प्रवक्ताओं और टीवी मीडिया वालों की क्या औकात है जो ये बच जाएं।
नंबर वन पार्टी के प्रवक्ता प्रेम की नफरत का आलम देखिए, इन्हें महिलाओं और माताओं से इतनी नफरत है कि वो सारी सियासी प्रतिस्पर्धा छोड़कर नंबर वन चैनल पर मां को लाइव इतनी गन्दी गाली दे बैठे जो शब्द लिखना संभव नहीं है। निश्चित तौर पर इस पाप को सबको भोगना पड़ेगा।
दुनिया की हर मां, दिवगंत माताओं और भारत माता ने भी ज़रूर श्राप दिया होगा। कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत को आजतक चैनल पर लाइव मां की गाली देने वाले भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला, नंबर वन पार्टी भाजपा, नंबर वन चैनल आजतक और इन्हें नंबर वन बनाने वाली जनता को भी मां ने श्राप जरूर दिया होगा। आजकी मीडिया की विकृत तौर-तरीकों को भी मां की बद्दुआएं ज़रूर लगेंगी।
दुनिया भारत का सम्मान इसलिए भी करती है कि यहां के नागरिकों के मन में अपने देश के प्रति इतना सम्मान है कि वो अपने देश को सबसे पवित्र रिश्ते मां की संज्ञा देती है। हम भारत को माता मानते हैं। फिर भी मां को देश-दुनिया के करोड़ों लोगों के बीच लाइव गाली देते हैं। ये कैसा सम्मान !
चाल, चरित्र,चेहरे वाली नंबर वन पार्टी भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने नंबर वन चैनल आजतक पर लाइव मां की गाली बक कर राष्ट्र और मां के प्रति भारत के सम्मान को भी चोट पहुंचाई है।
यकीन मानिए टीआरपी की अंधी दौड़ में ऐसे तमाशे करना टीवी चैनलों की मंशा ही होती है। यदि चैनलों को अपने डिबेट शो में इस तरह गाली-गलौज मारपीट अच्छा नहीं लगता होता तो वो ये लाइव शो नहीं करते, रिकॉर्डेड करते। यदि कुछ ग़लत होता तो उसे काट दिया जाता।
दलील साफ है। खबर की करंट वैल्यू होती है इसलिए इसे लाइव दिखाना समझ में आता है। टीवी डिबेट शो खबर तो नहीं हैं,तो फिर इनका लाइव शो दिखाने का मतलब ही यही होता है कि मारपीट, गाली-गलौज, जूतमपरदार की स्थितियां पैदा हों और इससे टीआरपी मिले !
ताजुब है कि मीडिया के इस नंगे नाच को काबू करने और इस तरह की टीवी डिबेट की गाइड लाइन बनाने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया जैसे संगठन सामने नहीं आ रहे हैं।