जुबिली स्पेशल डेस्क
तेहरान: इज़राइल और ईरान के बीच हाल ही में 12 दिनों तक चले युद्ध के बाद ईरान में जासूसी के आरोपों पर कड़ी कार्रवाई जारी है।
ईरानी अधिकारियों का दावा है कि इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने ईरान के सुरक्षा ढांचे में गहरी पैठ बना ली थी और युद्ध के दौरान ईरान की रक्षा प्रणाली को कमजोर करने में अहम भूमिका निभाई। ईरान के मुताबिक, युद्ध में उसके कई परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य कमांडरों की हत्या हुई। इसके पीछे मोसाद के जासूसी नेटवर्क को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
युद्ध समाप्त होने के बाद ईरान में इज़राइल के साथ सहयोग और जासूसी के आरोप में कई लोगों को फांसी दी गई है। हाल ही में रूजबेह वादी नामक व्यक्ति को मोसाद के लिए जासूसी करने के मामले में मौत की सजा दी गई।
2011 का शोधपत्र, 2025 में मौत
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2011 में अब्दुलहमीद मिनूचेहर, अहमदरेजा जोल्फगारी दरियानी और रूजबेह वादी ने 18वें ईरानी परमाणु ऊर्जा सम्मेलन में एक संयुक्त शोधपत्र पेश किया था।
- 13 जून 2025 को, युद्ध के पहले ही घंटों में, इज़राइल ने मिनूचेहर और जोल्फगारी की हत्या कर दी।
- सात हफ्ते बाद, 5 अगस्त की सुबह, वादी को फांसी दी गई।
परमाणु साइट की जानकारी लीक करने का आरोप
ईरानी टीवी पर प्रसारित एक वीडियो में वादी ने कबूल किया कि उसने मोसाद को उस परमाणु केंद्र की जानकारी दी थी जिसे इज़राइल ने युद्ध में निशाना बनाया, साथ ही एक ईरानी परमाणु वैज्ञानिक से जुड़ी जानकारी भी सौंपी थी।
मोसाद एजेंट कैसे बनता गया वादी?
ईरानी न्यायपालिका का दावा है कि वादी ने मोसाद से संपर्क एक वर्चुअल सोशल नेटवर्क के जरिए किया। इसके बाद वह “ट्रेनिंग कोर्स” के बहाने विएना गया, जहां उसकी पांच बार मोसाद अधिकारियों से मुलाकात हुई।
हालांकि, अधिकारियों के बयान में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि वादी को कितने समय से हिरासत में रखा गया था। ईरान ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, उसकी गिरफ्तारी 2024 की सर्दियों (लगभग फरवरी) में हुई थी और तब से वह जेल में था।