Wednesday - 30 July 2025 - 3:15 PM

उत्तर प्रदेश के 34 जिलों में 50% से ज्यादा बच्चे बौनेपन के शिकार, ये राज्य तीसरे नंबर पर 

जुबिली न्यूज डेस्क 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के 34 जिलों में पांच साल तक की उम्र के 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे बौनेपन (Stunting) से जूझ रहे हैं। यह खुलासा संसद में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में हुआ है।

चित्रकूट जिला 59.58 प्रतिशत बौनेपन की दर के साथ देशभर में तीसरे स्थान पर है। यह जानकारी केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने 25 जुलाई को संसद में एक सवाल के जवाब में दी। सवाल सीपीआई सांसद सुदामा प्रसाद और टीडीपी सांसद श्रीभरत मथुकुमिलि ने किया था।

देश के 63 जिलों में गंभीर स्थिति, उत्तर प्रदेश टॉप पर

रिपोर्ट के मुताबिक, देश भर में ऐसे 63 जिले हैं जहां बौनेपन की दर 50% से अधिक है। इनमें से अकेले 34 जिले उत्तर प्रदेश के हैं, जो इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या में सबसे आगे है।

  • महाराष्ट्र का नंदुरबार जिला 68.12% के साथ पहले स्थान पर है।

  • झारखंड का पश्चिम सिंहभूम 59.48% के साथ दूसरे स्थान पर।

  • उत्तर प्रदेश का चित्रकूट 59.58% के साथ तीसरे स्थान पर है।

ये जिले सबसे ज्यादा प्रभावित

उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बौनेपन की दर 54-59% के बीच है। कुछ प्रमुख जिले निम्न हैं:

  • चित्रकूट: 59.58%

  • बांदा: 59.33%

  • संभल: 56.79%

  • फिरोजाबाद: 56.37%

  • जौनपुर: 54.89%

  • हमीरपुर: 54.72%

इसके अलावा बरेली, अमरोहा, एटा, सीतापुर, ललितपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बदायूं, सुलतानपुर, आगरा, रायबरेली, मुरादाबाद जैसे जिले भी गंभीर रूप से प्रभावित हैं।

7 करोड़ बच्चों का डाटा, 50% से ज्यादा पीड़ित

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि जून 2025 तक आंगनबाड़ी और पोषण ट्रैकर पर 7.36 करोड़ बच्चे रजिस्टर्ड हैं। इनमें से लगभग 7 करोड़ बच्चों की लंबाई और वजन का डाटा दर्ज किया गया है।

इस डाटा विश्लेषण से पता चला कि 13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 63 जिलों में 50% से अधिक बच्चे बौनेपन से पीड़ित हैं। यह आंकड़ा बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर खतरे की घंटी है।

पोषण योजनाओं पर उठे सवाल

उत्तर प्रदेश की बाल विकास सेवा और पुष्टाहार विभाग की निदेशक सरनीत कौर ब्रोका ने हाल ही में दावा किया था कि संभव अभियान 4.0 के तहत कुपोषण, एनीमिया और आयरन की कमी में कमी आई है।

NFHS-5 (2025) रिपोर्ट के मुताबिक:

  • तीव्र कुपोषण (Wasting): 17.3% → घटकर 4%

  • अल्पवजन दर (Underweight): 34.5% → घटकर 20%

इन आंकड़ों के आधार पर 7 जुलाई 2025 को संभव अभियान 5.0 की शुरुआत भी की गई, लेकिन संसद में पेश ताजा रिपोर्ट ने इन दावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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क्या है बौनेपन की असली वजह?

विशेषज्ञों का मानना है कि बौनेपन की समस्या सिर्फ पोषण की कमी से नहीं जुड़ी है, बल्कि यह स्वच्छता, मातृ-शिशु स्वास्थ्य, सामाजिक-आर्थिक स्थिति और शिक्षा से भी जुड़ी हुई है।

अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो इसका असर बच्चों की सीखने की क्षमता, मानसिक विकास और भविष्य की उत्पादकता पर पड़ेगा।

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